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प्रधानमंंत्री ने लाल किले से संबोधित किया, कहा- स्वदेशी लड़ाकू जेट इंजन विकसित करने की जरूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले से संबोधन

प्रधानमंंत्री ने लाल किले से संबोधित किया, कहा- स्वदेशी लड़ाकू जेट इंजन विकसित करने की जरूरत

लेखन गजेंद्र
Aug 15, 2025
08:52 am

क्या है खबर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस की 79वीं वर्षगांठ पर दिल्ली के लाल किले से अपना 12वां ऐतिहासिक भाषण दिया। इस मौके पर उन्होंने न केवल 'ऑपरेशन सिंदूर' का जिक्र किया बल्कि पाकिस्तान को भी संदेश दिया कि उसकी परमाणु धमकी अब नहीं चलेगी। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के मामले में देश में ही स्वदेशी लड़ाकू जेट इंजन विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने फिर दोहराया कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे।

भाषण

हमें निर्भरता की आदत नहीं लगनी चाहिए- मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "किसी भी राष्ट्र के लिए, आत्म-सम्मान की सबसे बड़ी परीक्षा उसकी आत्मनिर्भरता होती है। विकसित भारत का आधार भी आत्मनिर्भर भारत ही है। जो दूसरों पर ज्यादा निर्भर रहता है, उसकी आजादी पर उतना ही बड़ा प्रश्नचिन्ह लग जाता है। दुर्भाग्य तब बन जाता है, जब निर्भरता की आदत लग जाए। पता न चले कि हम कब आत्मनिर्भरता छोड़ रहे हैं और कब किसी पर निर्भर हो जाते हैं। ये आदत खतरे से खाली नहीं है।"

संबोधन

आत्मनिर्भर न होते तो क्या ऑपरेशन सिंदूर इतना तेज हो पाता- मोदी

उन्होंने कहा, " हमें जागरूक रहना होगा। आत्मनिर्भरता केवल निर्यात और आयात तक सीमित नहीं है। यह हमारी क्षमताओं से भी जुड़ी है। इसलिए, अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, हमें आत्मनिर्भर होना होगा। अगर हम आत्मनिर्भर न होते, तो क्या ऑपरेशन सिंदूर इतनी त्वरित गति से कर पाते?" इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में स्वदेशी लड़ाकू जेट इंजन विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और इसे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

संदेश

खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे- मोदी

मोदी ने भारत-पाकिस्तान तनाव के संबंध में रद्द सिंधू जल समझौते को लेकर एक बार फिर दोहराया कि भारत ने तय कर लिया है कि अब खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे। उन्होंने कहा, "सिंधु जल संधि भारत के लोगों के साथ अन्याय थी। भारत की नदियां दुश्मन देश को सींच रही थीं जबकि हमारे अपने किसान पानी से वंचित थे। अब, भारत के हिस्से के पानी पर अधिकार केवल भारत और उसके किसानों का है।"