पहलगाम आतंकी हमला: NIA ने दाखिल किया आरोपपत्र, 7 आतंकियों को बनाया आरोपी
क्या है खबर?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले को लेकर सोमवार को 1,597 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया। इसमें लश्कर-ए-तैबा (LeT) से जुड़े तीन आतंकवादियों समेत 7 नाम शामिल हैं, जिनमें से 3 भारतीय सेना द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन महादेव' में मारे गए थे। मृतक आतंकियों में सुलेमान शाह उर्फ फैजल जट्ट या हाशिम मूसा, हमजा उर्फ हमजा अफगानी और जिब्रान उर्फ जिब्रान भाई शामिल हैं। आइए आरोपपत्र पर नजर डालते हैं।
रणनीति
NIA ने हमले को बताया समन्वित आतंकी रणनीति
NIA ने आरोपपत्र में कहा है कि पहलगाम हमला कोई अलग-थलग घटना नहीं थी, बल्कि कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकी संगठन LeT की व्यापक, समन्वित आतंकी रणनीति का हिस्सा थी। मारे गए आतंकवादियों को गुर्जर-बक्करवाल समुदाय के कुछ विशिष्ट लोगों से सक्रिय सहायता मिली थी। इनमें आतंकवादियों को अस्थायी आश्रय, रसद सहायता और महत्वपूर्ण जमीनी मार्गदर्शन प्रदान करना शामिल था। इसके चलते आतंकियों को हमले से पहले सुरक्षा बलों से बचने और घने जंगलों से होकर गुजरने में मदद मिली।
आरोपी
NIA ने LeT आतंकी साजिद जट्ट को भी बनाया आरोपी
NIA ने आरोपपत्र में सैफुल्लाह साजिद जट्ट को भी आरोपी बनाया है। उसे LeT का सबसे सक्रिय कमांडर बताया गया है। वह संगठन में हाफिज सईद के बाद तीसरे नंबर का नेता है। साजिद LeT के प्रॉक्सी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) का प्रमुख है, जो कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जाना जाता है। TRF को केंद्र सरकार ने 2023 में UAPA के तहत प्रतिबंधित किया था। इसी तरह साजिद को प्रतिबंधित आतंकवादी घोषित किया है।
भूमिका
पहलगाम हमले में क्या थी साजिद की भूमिका?
NIA जांच से पता चला है कि साजिद ने सीमा पार के संचालकों के निर्देश पर काम किया था और मॉड्यूल के समन्वय, सीमा पार के संचालकों के साथ संचार और हमलावरों को परिचालन सहायता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों पर हमलों का मुख्य सूत्रधार भी है। इसी तरह बटकोट निवासी परवेज अहमद जोथर और पहलगाम निवासी बशीर अहमद जोथर को आतंकियों को स्थानीय मदद देने के आरोप में आरोपी बनाया गया है।
जांच
परवेज और बशीर ने इस तरह की थी आतंकियों की मदद
NIA ने आरोपपत्र में बताया है कि आरोपी बशीर और परवेज ने आतंकियों को 21 अप्रैल की रात हिल पार्क इलाके के एक ढोक (झोपड़ी) में ठहराया था। इन दोनों भाइयों को हमले के लगभग दो महीने बाद 22 जून को गिरफ्तार किया गया था। उनके फोन से कुछ पाकिस्तानी नंबर भी मिले थे। इन दोनों ने ही मारे गए तीनों आतंकियों की पहचान पाकिस्तान के नागरिकों के रूप में की थी और उनके पाकिस्तानी पहचान पत्र भी बताए थे।
कार्रवाई
NIA ने UAPA के तहत लगाए हैं आरोप
NIA ने सभी आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धाराओं तहत आरोप लगाए हैं। यह अधिनियम आरोपों की गंभीरता को रेखांकित करता है और एजेंसी के इस आकलन को पुष्ट करता है कि यह हमला क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए लश्कर के व्यापक अभियान के हिस्से के रूप में रचा गया था। जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन महादेव से कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले व्यापक तंत्र का भी पर्दाफाश हुआ है।
पृष्ठभूमि
कैसे हुआ था पहलगाम में आतंकी हमला?
पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकियों ने हमला कर 26 निर्दोष पुरुष पर्यटकों की उनका धर्म पूछकर हत्या कर दी थी। हमले में 16 घायल हुए थे। भारतीय सेना ने इसका जवाब 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' से दिया और पाकिस्तान के अंदर 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिए। इसके बाद भारत-पाकिस्तान तनाव काफी बढ़ गया। इससे पहले भारत ने पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और सिंधु जल संधि रद्द कर दी थी।