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नोएडा दहेज हत्या: क्या निक्की के बेटे की मानी जाएगी गवाही और क्या कहता है कानून?
कोर्ट में बच्चों की गवाही को लेकर की जाती है विशेष व्यवस्था

नोएडा दहेज हत्या: क्या निक्की के बेटे की मानी जाएगी गवाही और क्या कहता है कानून?

Aug 26, 2025
03:46 pm

क्या है खबर?

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में निक्की भाटी (28) की दहेज के लिए पति और ससुराल वालों द्वारा जलकार की गई हत्या ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। इस मामले में निक्की के 6 वर्षीय बेटे ने पिता विपिन भाटी पर मां पर ज्वलनशील पदार्थ डालने के बाद लाइटर से जलाकर हत्या करने का आरोप लगाया है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या नाबालिग बेटे की गवाही मान्य होगी और भारतीय कानून में इसको लेकर क्या प्रावधान है।

प्रकरण

क्या है दहेज हत्या का मामला?

21 अगस्त को निक्की पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगाई गई थी। उसने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ा था। उसके 6 वर्षीय बेटे ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि पिता विपिन ने मां को जलाकर मार दिया। इसी तरह उसकी बहन कंचन ने विपिन और ससुराल वालों पर 36 लाख रुपये के दहेज के लिए निक्की को जलाकर मारने का आरोप लगाया था। उसके बाद पुलिस ने पति, देवर और ससुर को गिरफ्तार कर लिया।

कानून

बच्चों की गवाही को लेकर क्या कहता है कानून?

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट के वरिष्ठ वकील मनीष भदौरिया ने आजतक से कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम में गवाह की कोई न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं है। अगर अदालत को लगता है कि बच्चा सवालों के तथ्यपूर्ण जवाब दे सकता है, तो उसकी गवाही वैध मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी हत्या के मामले में एकमात्र गवाह 7 वर्षीय बच्ची की गवाही के आधार पर उसके पिता को मां की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

प्रक्रिया

क्या है बच्चों के बयान लेने की प्रक्रिया?

भदौरिया के अनुसार, बच्चों के बयान लेने की प्रक्रिया आम वयस्कों से बिल्कुल अलग होती है। दिल्ली में हर जिला अदालत में चाइल्ड विटनेस रूम भी बनाया गया है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अनुसार, घटना के तुरंत बाद पुलिस और फिर मजिस्ट्रेट के सामने गवाह बच्चों के बहुत नर्म और शालीन ढंग बयान दर्ज होते हैं। इसके बाद कोर्ट में बयान दर्ज होते हैं, लेकिन व्यवस्कों की तरह बच्चों को समन भेजकर गवाही के लिए नहीं बुलाया जाता है।

व्यवस्था

बच्चों को गवाही पर लाने के लिए भेजी जाती है गाड़ी

भदौरिया के अनुसार, बच्चों को गवाही के लिए बुलाने के लिए सरकारी गाड़ी और महिला के रूप में एक रिसोर्स पर्सन भेजा जाता है। बच्चों को आरामदायक माहौल देने के लिए गवाह कक्ष को भी उनके अनुसार तैयार किया जाता है। वहां पर चॉकलेट, चिप्स, खाने-पीने की दूसरी चीजें भी रखी जाती हैं। इसके बाद न्यायाधीश की मौजूदगी में बच्चों को आरोपी का चेहरा दिखाया जाता और उसकी पहचान करानी होती है। उसके बाद उन्हें वापस भेज दिया जाता है।

जांच

बयान की गंभीरता से होती है जांच

भदौरिया के अनुसार, बच्चों को डरा-धमकाकर या लालच देकर गवाही बदली जा सकती है। ऐसे में गवाही में बच्चों से कई बार एक ही सवाल को अलग-अलग तरीके से, लेकिन प्यार से पूछे जाते हैं ताकि सच्चाई सामने आ सके। इसके बाद ही बयान दर्ज होते हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य को देखते हुए गवाह बच्चों की पहचान उजागर नहीं की जाती है और न ही उनक नाम चार्जशीट में लिखा जाता है। उनका कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं होता है।