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अमित शाह बोले- विदेशी भाषाओं का विरोध नहीं, पहले कहा था- अंग्रेजी बोलने में शर्म आएगी
अमित शाह ने भाषाओं को लेकर नया बयान दिया है

अमित शाह बोले- विदेशी भाषाओं का विरोध नहीं, पहले कहा था- अंग्रेजी बोलने में शर्म आएगी

लेखन आबिद खान
Jun 26, 2025
07:30 pm

क्या है खबर?

देश में भाषाओं को लेकर छिड़े विवाद के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि किसी भी विदेशी भाषा का विरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व भी करना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार के राजभाषा विभाग की स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान ये बातें कहीं। इससे पहले शाह ने कहा था कि जल्द ही देश में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी, जिस पर विवाद हुआ था।

बयान

शाह ने कहा- हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की विरोधी नहीं

शाह ने कहा, "हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की विरोधी नहीं है, बल्कि सभी भारतीय भाषाओं की मित्र है। किसी भी विदेशी भाषा का विरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व भी करना चाहिए। मातृभाषा में सोचने, उसे सम्मान देने और बोलने के साथ-साथ अभिव्यक्त करने की भावना को प्रोत्साहित करना चाहिए। हिंदी और सभी भारतीय भाषाएं मिलकर हमारे आत्मगौरव के अभियान को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं।

भाषा

शाह बोले- भाषाएं भारत को एकजुट करने का माध्यम

शाह ने कहा, "कुछ दशकों में भाषा का इस्तेमाल भारत को बांटने के साधन के रूप में किया गया। हम सुनिश्चित करेंगे कि भाषाएं भारत को एकजुट करने का सशक्त माध्यम बनें। इसके लिए राजभाषा विभाग काम करेगा। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो नींव रखी जा रही है, उससे 2047 में एक महान भारत का निर्माण होगा और इस रास्ते पर हम अपनी भारतीय भाषाओं का विकास करेंगे, उन्हें समृद्ध बनाएंगे, उनकी उपयोगिता बढ़ाएंगे।"

पिछला बयान

पहले कहा था- कुछ दिन में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी

इससे पहले शाह ने 19 जून को कहा था, "इस देश में जो लोग अंग्रेजी बोलते हैं, उन्हें जल्द ही शर्म आएगी। ऐसे समाज का निर्माण दूर नहीं है। अपना देश, अपनी संस्कृति, अपना इतिहास और अपने धर्म को समझने के लिए कोई भी विदेशी भाषा पर्याप्त नहीं हो सकती। हमारे देश की भाषाएं हमारी संस्कृति के रत्न हैं। अपनी भाषाओं के बिना हम सच्चे भारतीय नहीं हैं। मैं जानता हूं कि ये लड़ाई कितनी कठिन है।

विरोध

शाह के बयान का हुआ था विरोध

शाह के बयान का राहुल गांधी, तेजस्वी यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने विरोध किया था। राहुल ने कहा था, 'अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है, शर्म नहीं, शक्ति है, जंजीर नहीं, जंजीरें तोड़ने का औजार है। भाजपा-RSS नहीं चाहते कि भारत का गरीब बच्चा अंग्रेजी सीखे, क्योंकि वो नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें। आज की दुनिया में अंग्रेजी उतनी ही जरूरी है, जितनी आपकी मातृभाषा, क्योंकि यही रोजगार दिलाएगी, आत्मविश्वास बढ़ाएगी।'