नरेंद्र मोदी-व्लादिमीर पुतिन की बैठक: रूस से और S-400 खरीद सकता है भारत, जानें एजेंडा
क्या है खबर?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले महीने भारत दौरे पर आ रहे हैं। 5 दिसंबर को वे दिल्ली में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान भारत रूस से और S-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीद पर चर्चा कर सकता है। यह कदम हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान S-400 प्रणाली के शानदार प्रदर्शन के बाद उठाया जा रहा है। आइए जानते हैं बैठक में और क्या-क्या हो सकता है।
S-400
S-400 के 5 और स्क्वॉड्रन खरीद सकता है भारत
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक के दौरान भारत रूस से S-400 प्रणाली के 5 और स्क्वॉड्रन खरीदने पर चर्चा कर सकता है। इसके अलावा पहले से शामिल स्क्वॉड्रनों के लिए बड़ी संख्या में मिसाइलों की खरीद भी इस बातचीत का हिस्सा होगी। बता दें कि भारत ने रूस के साथ S-400 वायु रक्षा प्रणाली की 5 स्क्वॉड्रन की खरीद को लेकर 2018 में 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा का समझौता किया था। इनमें से 3 यूनिट भारत को मिल गई है।
Su-37
सुखोई Su-37 पर अभी कोई फैसला नहीं
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत ने अभी तक रूस के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान Su-57 की 2-3 स्क्वाड्रन खरीदने पर कोई फैसला नहीं लिया है। अमेरिका भी अपने F-35 को एक विकल्प के तौर पर पेश कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना को 2035 तक स्वदेशी स्टील्थ फाइटर AMCA के आने तक एक अस्थायी विकल्प के तौर पर 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान चाहिए, लेकिन किसी भी विमान पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
सुखोई
सुखोई 30MKI के आधुनिकीकरण को भी मंजूरी
इस बीच, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) 84 सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों के अपग्रेड को मंजूरी देने वाली है। 63,000 करोड़ रुपये की इस योजना के तहत विमानों में बेहतर रडार सिस्टम, एवियोनिक्स, लंबी दूरी के हथियार और मल्टी-सेंसर फ्यूजन शामिल लगाए जाएंगे। इसके बाद सुखोई-30MKI लड़ाकू विमान अगले 30 सालों तक युद्ध के लिए सक्षम रहेंगे। रूस की मदद से इस अपग्रेड को स्वदेशी रूप से किया जाएगा।
अन्य मुद्दे
इन मुद्दों पर भी होगी चर्चा
रिपोर्ट के अनुसार, भारत सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों पर भी चर्चा करेगा। साथ ही 120 किलोमीटर, 200 किलोमीटर, 250 किलोमीटर और 380 किलोमीटर की रेंज वाली S-400 मिसाइलों के लिए 10,000 करोड़ रुपये के एक अलग प्रस्ताव पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। इसके अलावा भारत-रूस एक लेबर मोबिलिटी समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे, जिससे हजारों कुशल भारतीय कामगारों को रूस में कंस्ट्रक्शन, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर में काम करने का मौका मिलेगा।
अहमियत
कितनी अहम है पुतिन की भारत यात्रा?
पुतिन 23वीं भारत-रूस बैठक में हिस्सा लेंगे। 2021 के बाद यह पुतिन की पहली भारत यात्रा है। दौरा का समय भी काफी अहम है। रूस से कच्चे तेल की खरीदी को लेकर अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है। अमेरिका ने 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ भी लगाया है। इसके बावजूद भारत रूस से तेल खरीद रहा है। भारत के लिए ये पश्चिम और अपने सहयोगियों के बीच संतुलन दिखाने का मौका भी होगा।