मोहन भागवत का RSS के पंजीकरण विवाद पर बड़ा बयान, कहा- हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं
क्या है खबर?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने संगठन के पंजीकरण की स्थिति पर चल रही बहस के बीच बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं है और सरकार द्वारा RSS पर 3 बार प्रतिबंध लगाए जाने को इसकी मान्यता का प्रमाण बताया। भागवत कर्नाटक के बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां उन्होंने इसकी कर-मुक्त स्थिति और राष्ट्रीय गौरव के लिए हिंदू समाज को संगठित करने के उद्देश्य पर भी बात की।
सवाल
भागवत का सवाल- क्या हमें ब्रिटिश सरकार के साथ पंजीकरण कराना चाहिए था?
भागवत ने RSS के इतिहास का हवाला देते हुए उसकी अपंजीकृत स्थिति का बचाव किया। उन्होंने पूछा, "क्या हमें 1925 में स्थापित होने के बाद भी RSS को ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकृत करवाना चाहिए था?" उन्होंने कहा कि 1947 में आजादी के बाद पंजीकरण की कोई आवश्यकता नहीं थी। सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य नहीं किया था। उन्होंने संगठन की कर-मुक्त स्थिति पर कहा कि आयकर विभाग और अदालतें इसे व्यक्तियों के एक समूह के रूप में मान्यता देती हैं।
बयान
भारत के लिए हिंदू जिम्मेदार हैं- भागवत
भागवत ने हिंदू समाज को सत्ता के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव के लिए संगठित करने के RSS के मिशन पर जोर देते हुए कहा कि हिंदू भारत के लिए जिम्मेदार हैं और हिंदुओं की परिभाषा में मुसलमान और ईसाई सहित सभी भारतीय शामिल हैं। उन्होंने संगठन के सामने आई चुनौतियों के बारे में भी बात की। उन्होंने जोर देकर कहा कि RSS समाज में कोई प्रतिक्रियावादी संस्था नहीं है, बल्कि समाज का संगठन है।
तैयारी
गैर-हिंदुओं के साथ शुरू हुई बातचीत- भागवत
भागवत ने कहा कि RSS हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है, जिसमें भारत के बाहर के लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग खुद को हिंदू नहीं मानते, उनके साथ बातचीत शुरू हो गई है। यह टिप्पणी कर्नाटक सरकार के साथ तनाव के बीच आई है, जिसने RSS के सार्वजनिक स्थानों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। मंत्री प्रियांक खड़गे RSS की गतिविधियों में पारदर्शिता चाहते हैं, लेकिन उन्होंने प्रतिबंध लगाने की मांग नहीं की है।