सुशांत मामला: दिल्ली हाई कोर्ट ने कवरेज को लेकर पत्रकारों और मीडिया हाउस को भेजा नोटिस
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की गैर जिम्मेदाराना कवरेज को लेकर कई मीडिया हाउस और उनके पत्रकारों को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने यह नोटिस बॉलीवुड के प्रमुख निर्माताओं की ओर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने सभी मीडिया हाउसों और पत्रकारों को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सोशल मीडिया या उनके चैनलों पर कोई मानहानिकारक सामग्री अपलोड ना की जाए।
चार बॉलीवुड एसोसिएशन और 34 बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं दायर की थी याचिका
बता दें कि सुशांत सिंह की मौत के मामले में ड्रग्स एंगल आने के बाद कई समाचार चैनलों ने बॉलीवुड के खिलाफ जमकर अभियान चलाया था। कई चैनलों ने तो पूरे बॉलीवुड को ड्रग्स का जाल करार दे दिया था। इसको लेकर चार बॉलीवुड एसोसिएशन और 34 बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं ने गत 12 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बॉलीवुड हस्तियों के खिलाफ चलाई जा रही मीडिया ट्रायल पर रोक लगाने की मांग की थी।
अजय देवगन और सलमान समेत इन हाउसों ने दायर की थी याचिका
समाचार चैनलों के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन, एड-लैब्स फिल्म्स, अजय देवगन फिल्म्स, अनिल कपूर फिल्म एंड कम्युनिकेशन नेटवर्क, अरबाज खान प्रोडक्शंस, आशुतोष गोवारिकर प्रोडक्शंस, एक्सेल एंटरटेनमेंट, कबीर खान फिल्म्स, धर्मा प्रोडक्शंस, नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट, राकेश ओमप्रकाश मेहरा पिक्चर्स, रिलायंस बिग एंटरटेनमेंट, रोहित शेट्टी पिक्चर्स, सलमान खान फिल्म्स, सिख एंटरटेनमेंट, सोहेल खान प्रोडक्शंस, टाइगर बेबी, विनोद चोपड़ा फिल्म्स, विशाल भारद्वाज पिक्चर्स, यशराज फिल्म्स और विशाल भारद्वाज फिल्म्स आदि शामिल है।
याचिका में समाचार चैलनों पर लगाया था बॉलीवुड को 'गंदगी' बताने का आरोप
याचिका में आरोप लगाया गया था कि चैनलों ने अपने कवरेज में बॉलीवुड के लिए 'ड्रगिज', 'गंदगी' और 'scum (मैला)' जैसे अपमानजनक शब्दों का उपयोग किया था। यहां तक की यह भी कहा गया कि बॉलीवुड में व्याप्त गंदगी को साफ करना होगा। याचिकार्कर्ताओं ने चैनलों और साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को बॉलीवुड और इसके सदस्यों के खिलाफ गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक टिप्पणी करने या प्रकाशित करने से रोकने की मांग की गई थी।
चैनलों से प्रोग्राम कोड, 1994 का पालन कराने की मांग
फिल्म निर्माताओं ने याचिका में चैनलों से प्रोग्राम कोड, 1994 का पालन कराने की मांग की थी। इसके तहत समाचार चैनलों को बॉलीवुड के खिलाफ प्रकाशित सभी अपमानजनक सामग्री को वापस लेना होता है और स्पष्टीकरण देना होता है।
हाईकोर्ट ने इन चैनलों को दिया नोटिस
जस्टिस राजीव शकधर की पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए रिपब्लिक टीवी और चैनल के अर्नब गोस्वामी और प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाउ और इसके शीर्ष चेहरे राहुल शिवशंकर और नविका कुमार सहित अन्य चैनल और पत्रकारों को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा उन्होंने ARG आउटलायर मीडिया आसियानेट प्राइवेट लिमिटेड और बेनेट कोलमैन ग्रुप को यह भी सुनिश्चित करने को भी कहा कि सोशल मीडिया मंचों या उनके चैनलों पर कोई मानहानिकारक सामग्री नहीं डाली जाए।
मीडिया हाउसों के वीकल ने दिया आश्वासन
हाईकोर्ट की ओर से मामले में सख्ती दिखाने के बाद मीडिया हाउसों के वकील ने आश्वासन दिया कि वह सभी भविष्य में किसी भी मामले की कवरेज के दौरान आवश्यक रूप से 'प्रोग्राम कोड' का पालन करेंगे और किसी कि भावनाओं को आहत नहीं करेंगे।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने की अपमानजनक सामग्री हटाने की मांग
याचिकाकर्ताओं के वकील राजीव नैयर ने कोर्ट से यूट्यूब, सोशल मीडिया और ट्विटर से बॉलीवुड के बारे में अपमानजनक सामग्री तुरंत हटवाने की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा कि रिपोर्टिंग करना मीडिया का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन निष्पक्ष तरीके से रिपोर्टिंग होनी चाहिए। कोर्ट ने टाइम्स नाउ के वकील की खिंचाई करते हुए कहा कि टोन डाउन करने की जरूरत है। आप जांच कर सकते हैं, लेकिन जिम्मेदारी के साथ।
हाई कोर्ट ने कही चाजों पर पहले से ही धारणा बनाने की बात
हाई कोर्ट ने टाइम्स नाउ के वकील से कहा कि चीजों पर पहले से ही धारणा बनाई जा रही है। न्यूज़ कम होती है और ओपनियन ज्यादा। इंग्लैंड में चार्जेशीट के बाद भी आरोपी को पर्सन ऑफ इंटरेस्ट कहा जाता है, लेकिन भारत में केस दर्ज होने से पहले ही नामों की घोषणा कर देते है। स्क्रीन पर आग की लपटें दिखाई जा रही हैं, व्हाट्सएप चैट दिखाए जा रहे हैं। समझ नहीं आ रहा कि हो क्या रहा है।