झारखंड पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, एक करोड़ रुपये का ईनामी नक्सली नेता गिरफ्तार
क्या है खबर?
शुक्रवार सुबह रांची पुलिस के हाथ बड़ी कामयाबी लगी, जब उसने एक करोड़ रुपये के ईनामी नक्सली किशन दा उर्फ प्रशांत बोस को गिरफ्तार कर लिया।
प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य किशन को सरायकेला के चांडिल कांड्रा चौका मार्ग पर गिरफ्तार किया गया था।
उसे नक्सलियों का बड़ा विचारक माना जाता है और उसका काम अलग-अलग राज्यों में घूमकर माओवादी विचारधारा का प्रसार करना था।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
जानकारी
कई राज्यों ने रखा था ईनाम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 74 वर्षीय किशन पर कई राज्य सरकारों ने ईनाम रखा था।
शुक्रवार को वह अपनी पत्नी के साथ गिरिडिह से पारसनाथ वापस आ रहा था। तभी रास्ते में पुलिसकर्मियों ने उन्हें दबोच लिया। उनके साथ एक अऩ्य महिला और ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया है।
बताया जा रहा है कि ये लोग पश्चिम बंगाल जाने की तैयारी में थे। गिरफ्तारी के बाद पुलिस इन्हें रांची लेकर आई, जहां वरिष्ठ अधिकारी इनसे पूछताछ कर रहे हैं।
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जमानत पर बाहर है किशन दा की पत्नी
किशन दा के साथ उसकी पत्नी शीला मरांडी को भी गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि उसे हाल ही में संगठन की केंद्रीय समिति का सदस्य बनाया गया था। उसकी पहले गिरफ्तारी हो चुकी थी और फिलहाल वह जमानत पर बाहर थी।
गिरफ्तारी
खुफिया एजेंसियां भी थीं अभियान में शामिल
किशन दा को 2004 में नक्सलियों के दो धड़ों को मिलाने का जिम्मेदार माना जाता है, जिसके बाद उसका संगठन पहले से कहीं मजबूत हो गया।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि कई दिनों से उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। पिछले करीब चार महीनों से चल रहे इस अभियान में खुफिया एजेंसियां भी शामिल थीं।
शुक्रवार को गिरफ्तारी के लिए पुलिस के साथ खुफिया एजेंसियों के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे थे।
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ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का सचिव है किशन
TOI के मुताबिक, किशन दा को कई नामों से जाना जाता है। संगठन में उसकी हैसियत दूसरे नंबर की थी और वह ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का सचिव है।
झारखंड-बिहार की स्पेशल एरिया कमेटी, पूर्वी बिहार-पूर्वोत्तर झारखंड, पश्चिम बंगाल स्टेट कमेटी, छत्तीसगढ़ स्पेशल कमेटी और असम स्टेट स्पेशल कमेटी की जिम्मेदारी उसके पास बताई जाती है।
करीब 100 नक्सली वारदातों में उसकी तलाश थी और वह कई मौकों पर पुलिस के हाथों से बचकर निकल चुका था।
जानकारी
कई दशकों से नक्सली गतिविधियों में शामिल है किशन
पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के जाधवपुर के रहने वाले किशन को लकवे का दौरा पड़ा था और उसके बाद वह बीमार रहने लगा है और पूरी तरह फिट नहीं है।
वह पहली बार आपातकाल के दौरान जेल गया था। 1978 में बाहर आने के बाद से वह नक्सली गतिविधियों में शामिल हो गया। पुलिस को कई सालों से उसकी तलाश थी और कई कोशिशों के बाद भी उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका था।
झारखंड
अब भी एक करोड़ के तीन ईनामी पकड़ से बाहर
प्रभात खबर के अनुसार, किशन दा की गिरफ्तारी के बाद भी झारखंड में माओवादी संगठन में तीन ऐसे नक्सली नेता हैं, जिन पर एक-एक करोड़ रुपये का ईनाम घोषित है।
इनके नाम मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर उर्फ सुनिर्मल, असीम मंडल उर्फ आकाश उर्फ तिमिर और अनल दा उर्फ तूफान पतिराम मांझी हैं। इन तीनों पर भी एक-एक करोड़ रुपये का इनाम है।
बेसरा जहां माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य है, वहीं असीम मंडल और अनल दा केंद्रीय समिति के सदस्य हैं।