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जस्टिस सूर्यकांत कल बनेंगे मुख्य न्यायाधीश, अनुच्छेद 370 समेत इन अहम फैसलों में रहे शामिल
जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को CJI पद की शपथ लेंगे

जस्टिस सूर्यकांत कल बनेंगे मुख्य न्यायाधीश, अनुच्छेद 370 समेत इन अहम फैसलों में रहे शामिल

लेखन आबिद खान
Nov 23, 2025
02:40 pm

क्या है खबर?

जस्टिस सूर्यकांत कल यानी 24 नवंबर को देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के तौर पर शपथ लेंगे। उनके शपथ ग्रहण समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस और ब्राजील सहित कई देशों के मुख्य न्यायाधीश भी मौजूद रहेंगे। यह पहली बार हो रहा है, जब किसी CJI के शपथ ग्रहण में इतनी बड़ी संख्या में दूसरे देशों का न्यायिक प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहेगा। आइए जस्टिस सूर्यकांत के कुछ बड़े फैसलों पर नजर डालते हैं।

अनुच्छेद 370

अनुच्छेद 370 हटाने को सही ठहराने वाली पीठ का थे हिस्सा

जस्टिस सूर्यकांत कई अहम फैसले सुनाने वाली संवैधानिक पीठों का हिस्सा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासन से जुड़े 1,000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत उस ऐतिहासिक पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को वैध ठहराया था। इससे जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म हो गया था। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े फैसले में भी वे 7 सदस्यीय पीठ का हिस्सा थे।

पेगासस

पेगासस मामले की सुनवाई में भी शामिल रहे जस्टिस कांत

जस्टिस कांत पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली पीठ का भी हिस्सा थे। इस पीठ ने मामले की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का पैनल बनाया था। जस्टिस कांत ने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में खुली छूट नहीं मिल सकती। वे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने 2017 में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को लेकर हुई हिंसा के बाद डेरा सच्चा सौदा को साफ करने का आदेश दिया था।

राजद्रोह

राजद्रोह कानून को स्थगित करने वाली पीठ का भी थे हिस्सा

जस्टिस कांत उस पीठ में भी थे, जिसने औपनिवेशिक काल के देशद्रोह कानून को स्थगित कर दिया था। इस पीठ ने राज्यों और केंद्र को निर्देश दिया था कि जब तक सरकार इस नियम पर दोबारा विचार नहीं कर लेती, तब तक वे IPC की धारा 124A के तहत नई FIR दर्ज न करें। जस्टिस कांत उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने विधेयक लंबित रखने पर राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर फैसला सुनाया था।

अन्य मामले

OROP से जुड़े फैसले देने वाली पीठ में भी रहे शामिल

2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा चूक हुई थी। इसकी जांच के लिए जिस पीठ ने जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​की अगुवाई में समिति बनाई थी, उसमें भी जस्टिस कांत थे। जस्टिस कांत ने वन रैंक-वन पेंशन (OROP) स्कीम को संवैधानिक रूप से सही ठहराया था। उन्हें समस्त बार एसोसिएशन में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने का निर्देश देने का श्रेय भी दिया जाता है।

परिचय

कौन हैं जस्टिस कांत?

हरियाणा के हिसार में 10 फरवरी, 1962 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में जस्टिस कांत ने 1981 में हिसार के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक किया था। उन्होंने 1984 में रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और इसके बाद 1984 में हिसार जिला न्यायालय में वकालत शुरू कर दी। 1985 में वह पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट आ गए। मार्च 2001 में वे वरिष्ठ अधिवक्ता बने। मई 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था।