सालों पहले पाकिस्तानी विमान गिराने वाले वायुसेना अधिकारी ने अब घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण, जानें कारण
क्या है खबर?
करीब 20 साल पहले 10 अगस्त, 1999, को भारतीय वायुसेना ने गुजरात के नलिया में पाकिस्तान नौसेना के एक समुद्री निगरानी विमान को मार गिराया था।
इस घटना में पाकिस्तान के 5 अधिकारी और 11 नाविक मारे गए थे।
अब इस घटना से संबंध रखने वाले भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है और कहा है कि उन्हें विमान में इतने लोगों के होने की उम्मीद नहीं थी।
घटना
करगिल युद्ध के ठीक बाद हुई थी घटना
ये घटना करगिल युद्ध के ठीक बाद हुई थी, जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था।
पाकिस्तानी नौसेना का फ्रांसीसी ब्रेगुएट Br.1150 एटलांटिक्यू निगरानी विमान भारतीय सीमा में प्रवेश कर गया था, जिसके बाद उसे मार गिराया गया।
घटना में 5 अधिकारियों और 11 नाविकों की मौत हुई, जो 1971 युद्ध के बाद पाकिस्तान नौसेना को एक दिन में हुआ सबसे बड़ा नुकसान था।
इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया था।
बयान
"विमान में इतने लोगों के होने की उम्मीद नहीं थी"
अब इस घटना को याद करते हुए ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) संजीव नारायणन ने कहा है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि विमान गिर जाएगा।
उन्होंने कहा, "हमने इतने लोगों के विमान पर होने की उम्मीद नहीं की थी। ये दुर्भाग्यपूर्ण था। जब मीडिया ने उनके अंतिम संस्कार के बारे में रिपोर्ट किया, तब मुझे उनके बारे में पता चला।"
नारायणन ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि क्या पाकिस्तानी विमान जानबूझ कर भारत की सीमा में आया था।
घटनाक्रम
अगले दिन नलिया एयरबेस पर आने वाले थे वायुसेना प्रमुख
एक अन्य वायुसेना अधिकारी ग्रुप कैप्टन विजय सुमन शर्मा ने बताया कि वायुसेना प्रमुख एवाई टिपनिस अगले दिन नलिया एयरबेस पर आने वाले थे और इसकी तैयारियां चल रहीं थीं, तभी दो मिग-21 विमानों को तेजी से तैयार किया गया।
उन्होंने बताया, "मुझे पता था कि कुछ गलत है। पाकिस्तानी विमान ने 10:52 बजे उड़ान भरी, 11:01 बजे तक वायुसेना के लड़ाकू विमान हवा में थे और पाकिस्तानी विमान की तरफ जाने लगे।"
समस्याएं
बादलों के कारण हुई विमान को ढूढ़ने में परेशानी
शर्मा ने बताया कि एक विमान को विंग कमांडर पीके बुंदेला उड़ा रहे थे, जबकि दूसरे विमान को फ्लाइट लेफ्टिनेंट संजीव नारायणन उड़ा रहे थे।
आसमान में बादल छाए होने के कारण भारत के लड़ाकू विमानों के लिए पाकिस्तानी विमान को ढूढ़ने में परेशानी हो रही थी।
रडार से पता चला कि विमान कच्छ रण में लकपथ और कोटेश्वर को पार करते हुए भारतीय सीमा में दक्षिण की ओर बढ़ रहा था।
खतरा
आक्रामक हथियारों के साथ भारतीय सीमा के 10 किलोमीटर अंदर आ गया था विमान
शर्मा ने बताया कि बादलों से बचने के लिए दोनों लड़ाकू विमान 2,500 मीटर की ऊंचाई तक गए और 11:16 बजे लगभग 2,100 मीटर ऊंचाई पर उन्हें पाकिस्तानी विमान दिखा।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी विमान भारतीय सीमा के 10 किलोमीटर अंदर तक आ गया था और आक्रामक हथियार ले जा रहा था।
इसके बाद शर्मा ने लड़ाकू विमानों को हमले की इजाजत दी और पाकिस्तान विमान को मार गिराया गया।