LOADING...
#NewsBytesExplainer: अमेरिका ने H-1B वीजा से जुड़े नियम बदले, क्या ये भारत के लिए मौका है?
अमेरिका ने H-1B वीजा से जुड़े नियम बदल दिए हैं

#NewsBytesExplainer: अमेरिका ने H-1B वीजा से जुड़े नियम बदले, क्या ये भारत के लिए मौका है?

लेखन आबिद खान
Sep 20, 2025
06:42 pm

क्या है खबर?

अमेरिका ने H-1B वीजा से जुड़े नियम बदल दिए हैं। अब इन वीजाधारकों को हर साल करीब 88 लाख रुपये चुकाने होंगे। पहले ये राशि करीब 6 लाख रुपये थी। इस बदलाव से भारतीय पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि H-1B वीजा सबसे ज्यादा भारतीयों को ही मिलता है। हालांकि, कुछ जानकार इसे भारत की नीतियों में बदलाव के मौके के तौर पर देख रहे हैं। आइए जानते हैं क्या भारत को कुछ फायदा हो सकता है।

नियम

सबसे पहले जानिए अमेरिका ने क्या नियम बदले?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के लिए फीस एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) कर दी है। यानी जब तक H-1B वीजा धारक ये फीस जमा नहीं करेंगे, तब तक वे अमेरिका में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। यह आदेश 21 सितंबर से लागू होगा। बता दें कि H-1B वीजा खास तकनीकी कौशल जैसे IT और स्वास्थ्य से जुड़े पेशेवरों को दिया जाता है। भारतीय IT पेशेवरों पर इसका व्यापक असर पड़ने की संभावना है।

उम्मीद

जानकार फैसले से क्या सकारात्मक उम्मीद लगा रहे हैं?

नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत सहित कई जानकारों का मानना है कि इस बदलाव से भारत से ज्यादा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। कांत ने कहा, "वैश्विक प्रतिभाओं के लिए दरवाजे बंद कर अमेरिका प्रयोगशालाओं, पेटेंट नवाचार और स्टार्टअप्स की अगली लहर को बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुड़गांव में धकेल रहा है। ये भारत के बेहतरीन डॉक्टरों, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के पास भारत के विकास और विकसित भारत की दिशा में प्रगति में योगदान का मौका है।"

आत्मनिर्भर भारत

क्या 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को मिलेगा बढ़ावा?

H-1B वीजा का इस्तेमाल कर हर साल हजारों भारतीय अमेरिका जाते हैं। जानकार लोग इसे प्रतिभा पलायन का अहम कारण मानते हैं। कुछ लोगों का तर्क है कि इससे भारत के लिए वैश्विक नेटवर्क और धन-प्रेषण का निर्माण होता है, लेकिन कुल मिलाकर इसका असर मूल्यवान मानव पूंजी के नुकसान के रूप में देखा जाता है, खासतौर से IT क्षेत्र में। ये भारतीयों के लिए स्वदेश लौटने का मौका है, जिससे 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को भी बढ़ावा मिल सकता है।

अमेरिका

अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करेगा कदम- विशेषज्ञ

पूर्व राजनयिक केपी फैबियन ने कहा, "ट्रंप का कदम भारतीयों को प्रभावित करेगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने के लिए आवश्यक बौद्धिक शक्ति का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करेगा। सीधे शब्दों में कहें तो यह अत्याचार है। इसका असर भारतीयों पर तो पड़ेगा, साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा, क्योंकि युवा भारतीय अमेरिकी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक बौद्धिक क्षमता का बड़ा हिस्सा प्रदान करते हैं। ट्रंप खुद को निशाना बनाने के लिए आतुर हैं।"

मौका

जानकार इस कदम को भारत के लिए मौका क्यों मान रहे हैं?

अमेरिका के इस कदम के बाद ज्यादातर IT कंपनियां भारत में ही तकनीक को मजबूत करने और विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं। इससे घरेलू स्तर पर नवाचार और रोजगार में बढ़ोतरी हो सकती है। एक अहम तथ्य ये भी है कि कोविड-19 महामारी के बाद ज्यादातर तकनीकी कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम मॉडल को तेजी से अपनाया है। कंपनियों के पास विकल्प हैं कि वो इस मॉडल के जरिए भारतीय प्रतिभाओं की सेवाएं ले सकती हैं।

विविधता

वैश्विक बाजार में विविधता ला सकती हैं कंपनियां

जानकारों का मानना है कि भारतीय कर्मचारी और स्टार्टअप इस चुनौती का उपयोग विशेषज्ञता को बढ़ाने, स्थानीय स्तर पर नवाचार करने और भारत में ही नई वैश्विक साझेदारियां बनाने के लिए कर सकते हैं। इससे एक अधिक आत्मनिर्भर और उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो सकता है। ये कंपनियों के पास अपने बाजार में विविधता लाने का भी मौका है। कंपनियां अमेरिका के अलावा यूरोप, एशिया और ऐसे क्षेत्रों पर फोकस कर सकती हैं, जहां वीजा नियम सख्त नहीं हैं।

वीजा

क्या होता है H-1B वीजा?

H-1B वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां दक्ष कर्मचारियों को नौकरियां देती हैं। ये तकनीकी, वैज्ञानिक और व्यावसायिक विशेषज्ञता वाले पेशेवरों को दिया जाता है। ये वीजा 3 साल के लिए होता है और इसे 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता है। हर साल लाखों लोग इसके लिए आवेदन करते हैं, लेकिन लॉटरी के जरिए केवल 85,000 पेशेवरों को ही ये मिलता है। 72 प्रतिशत भारतीय इसका इस्तेमाल करते हैं।