भारतीय रेलवे ने जुलाई 2021 से हर 3 दिन में एक कर्मचारी को नौकरी से निकाला
भारतीय रेलवे की ओर से अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं करने वाले तथा भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। यही कारण है कि रेलवे की ओर से जुलाई 2021 के बाद पिछले 16 महीनों में 139 अधिकारियों और कर्मचारियों को दबाव देकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी और 38 को सेवा से बर्खास्त कर दिया। रेलवे की ओर से हाल ही में जारी किए गए एक डाटा में इस कार्रवाई का खुलासा हुआ है।
रेलवे में हर तीन दिन में एक कर्मचारी के खिलाफ की कार्रवाई
रेलवे अधिकारियों की माने तो दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की रफ्तार का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले 16 महीनों में प्रत्येक तीन दिन में एक कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को भी दो भ्रष्ट अधिकारियों को बर्खास्त किया गया है। इनमें से एक अधिकारी को CBI ने हैदराबाद में पांच लाख रुपये और दूसरे को रांची में तीन लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए दबोचा गया था।
अधिकारियों को कई बार दी गई है चेतावनी
PTI के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कर्मचारियों की कार्यशैली लेकर अपने संदेश के बारे में बहुत स्पष्ट हैं। वैष्णव जुलाई 2021 में कार्यभार संभालने के बाद अधिकारियों को उनके काम करने के तरीके को लेकर कई बार चेतावनी देते आए हैं। गौरतलब है कि ठीक से काम नहीं करने की स्थिति में अधिकारियों को कई बार VRS लेकर घर पर बैठने के लिए भी कहा जा चुका है।
किन विभागों में तैनात थे कार्रवाई झेलने वाले कर्मचारी?
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन कर्मचारियों और अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर या बर्खास्त किया गया है उनमें से अधिकतर इलेक्ट्रिकल और सिग्नलिंग, मेडिकल, ट्रैफिक, मैकेनिकल आदि विभागों में कार्यरत थे। गौरतलब है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) के तहत किसी कर्मचारी को उसकी बची हुई सेवा के प्रत्येक वर्ष के लिए दो महीने के बराबर का वेतन दिया जाता है, जबकि अनिवार्य सेवानिवृत्ति में ऐसा कोई लाभ नहीं मिलता है।
किस नियम के तहत की गई कार्रवाई?
भारतीय रेलवे ने अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ यह कार्रवाई कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के नियम 56 (J) के तहत की है। इस नियम के मुताबिक, किसी सरकारी कर्मचारी को कम से कम तीन महीने का नोटिस देकर या इस अवधि के लिए वेतन का भुगतान करने के बाद सेवानिवृत्त या बर्खास्त किया जा सकता है। यह कदम ठीक से काम नहीं करने वालों को बाहर करने के लिए केंद्र का एक प्रयास है।