लद्दाख में भारत और चीन के बीच हो सकती हैं और अधिक झड़पें- खुफिया पुलिस रिपोर्ट
लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच आने वाले दिनों में और अधिक झड़पें हो सकती हैं। एक पुलिस सुरक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह चीन का क्षेत्र में सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। एक समाचार एजेंसी ने दावा किया है कि 20 से 22 जनवरी के बीच आयोजित शीर्ष पुलिस अधिकारियों के एक सम्मेलन में लद्दाख पुलिस ने यह खुफिया रिपोर्ट पेश की थी।
दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव के पैटर्न पर आधारित है खुफिया रिपोर्ट
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि लद्दाख पुलिस ने यह खुफिया रिपोर्ट कई सालों से भारत-चीन के बीच सैन्य तनाव के पैटर्न को देखकर बनाई है। इसमें दावा किया गया है कि भारतीय सेना ने इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था। समाचार एजेंसी के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्रालय ने भी इस रिपोर्ट को लेकर कोई जवाब नहीं दिया है।
चीन जारी रखेगा बुनियादी ढांचे का निर्माण- रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक हितों को देखते हुए चीनी सेना अपने सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण करना जारी रखेगी और यह झड़पें भी अक्सर होती रहेंगी। रिपोर्ट के मुताबिक, "अगर हम झड़पों के पैटर्न का विश्लेषण करते हैं तो 2013 के बाद से हर दो-तीन साल के अंतराल के साथ इसमें वृद्धि हुई है और बुनियादी सैन्य ढांचे के निर्माण के साथ दोनों सेनाएं एक-दूसरे की प्रतिक्रिया और ताकत का परीक्षण कर रही हैं।"
गलवान हिंसा के बाद भारत और चीन के रिश्तों में आई खटास
साल 2020 में भारत-चीन सीमा पर लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच पहली बार टकराव की स्थिति बनी थी। इसके बाद से दोनों ही देश आमने-सामने हैं और इस घटना के बाद भारत-चीन के रिश्तों में दशकों बाद खटास आई है। इससे दोनों देशों के बीच चल रही कूटनीतिक बातचीत भी प्रभावित हुई है। गलवान हिंसा में भारतीय सेना के एक कमांडर सहित 20 जवानों ने अपनी शहादत दी थी।
गलवान घाटी में क्या हुआ था?
15 जून, 2020 की रात गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों की झड़प हो गई थी। यह हिंसक झड़प उस समय शुरू हुई जब भारतीय सैनिक भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों द्वारा लगाए गए टेंट को हटाने गए थे। उस दौरान चीनी सैनिकों ने पत्थर, रॉड और कंटीले तारों से उन पर हमला कर दिया था। इसमें कर्नल संतोष बाबू सहित भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन ने अपने नुकसान की जानकारी नहीं दी थी।
पिछले साल भी सीमा पर दोनों देशों के सैनिक आए थे आमने-सामने
गलवान हिंसा के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों में अक्सर टकराव की स्थिति देखने को मिल रही है। पिछले साल सिंतबर में दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 पर झड़प हो गई थी। इसके बाद दिसंबर में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गई थे। भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई इन दोनों झड़पों में किसी सैनिक ने जान नहीं गंवाई।
चीन और भारत के बीच 1962 में हुआ था युद्ध
बता दें कि भारत और चीन 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, जो 1950 के दशक से विवादित है। इस लेकर अक्टूबर, 1962 में दोनों देशों के बीच युद्ध भी हुआ था, जो करीब एक महीने से ज्यादा चला था।