SCO शिखर सम्मेलन आज; प्रधानमंत्री करेंगे अध्यक्षता, चीन-रूस के राष्ट्रपति और पाकिस्तानी के प्रधानमंत्री होंगे शामिल
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे। इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
ये पहली बार है जब भारत SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। बता दें कि इस साल SCO की अध्यक्षता भी भारत के पास है।
मुद्दे
किन मुद्दों पर चर्चा संभव?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा संभव है। वागनर समूह के विद्रोह के बाद ये पहली बार है जब पुतिन किसी अंतराष्ट्रीय मंच पर दिखेंगे।
चीन और भारत के बीच सीमा विवाद और पाकिस्तान में आर्थिक संकट को लेकर भी कुछ बातचीत हो सकती है। अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति और गरीबी को लेकर भी चर्चा हो सकती है।
सदस्य
कौन-कौन हो रहा है शामिल?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, SCO के 8 सदस्य देशों के अलावा तुर्कमेनिस्तान को अतिथि देश और ईरान, बेलारूस और मंगोलिया को पर्यवेक्षक देशों के रूप में आमंत्रित किया गया है।
6 अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के अध्यक्षों को भी आमंत्रित किया गया है। इनमें संयुक्त राष्ट्र (UN), ASIAN (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संघ), CIS (स्वतंत्र राज्यों का राष्ट्रमंडल), CSTO (सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन), EAEU (यूरेशियन आर्थिक संघ) और CICA (एशिया में बातचीत और विश्वास निर्माण उपायों पर सम्मेलन) शामिल हैं।
चीन
शिखर सम्मेलन से पहले आया चीन का बयान
बिजनेस टुडे के अनुसार, शी जिनपिंग आज की बैठक में 'महत्वपूर्ण टिप्पणी' करने वाले हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "एक संस्थापक सदस्य के रूप में चीन SCO को विदेशी मामलों में प्राथमिकता के रूप में देखता है। हम वैश्विक विकास, वैश्विक सुरक्षा और वैश्विक सभ्यता पर कार्य करने और यूरेशियन महाद्वीप के लिए एक उज्जवल भविष्य की शुरुआत करने के लिए सदस्यों के साथ काम करने को तैयार हैं।"
Sco
क्या है SCO?
बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसकी स्थापना 2001 में एक शिखर सम्मेलन के दौरान रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा की गई थी।
2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बन गए, जिसके बाद सदस्य देशों की संख्या 8 हो गई है।
इसका मकसद सदस्य देशों के बीच मौजूद विवादों को सुलझाने और आपसी सहयोग को बढ़ाना है।