पहली बार मध्य एशियाई देशों के NSA सम्मेलन की मेजबानी करेगा भारत, आतंकवाद पर होगी चर्चा
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल मंगलवार को नई दिल्ली में मध्य एशियाई देशों के अपने समकक्षों के साथ बातचीत करेंगे। यह पहला अवसर है जब भारत कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के एक सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। गौरतलब है कि इस सम्मेलन में अफगानिस्तान में उभरती सुरक्षा स्थिति और वहां से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे से निपटने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
किन-किन मुद्दों पर होगी चर्चा ?
बतौर रिपोर्ट्स, भारत और मध्य एशियाई देशों के आतंकवाद और कट्टरता के खतरे का मुकाबला करने के दृष्टिकोण में कई समानताएं हैं और इस बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। वहीं, ईरान में बन रहे चाबहार बंदरगाह को इंटरनेशनल नॉर्थ-साऊथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के साथ जोड़ने को लेकर भी चर्चा हो सकती है। मध्य एशियाई देश भारत में सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन और विभिन्न आतंकवादी समूहों से इसके संबंधों से वाकिफ हैं।
बैठक में और क्या होगा?
भारत और मध्य एशियाई देशों के सुरक्षा अधिकारियों के सम्मलेन के बाद इन देशों के NSA के बीच द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी। यह सम्मेलन भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रहा है। पिछले साल नवंबर में भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर एक क्षेत्रीय वार्ता की भी मेजबानी की थी जिसमें रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के NSA शामिल हुए थे।
'एशिया का दिल' हैं मध्य एशियाई देश- भारत
एक अधिकारी ने बताया कि भारत मध्य एशियाई देशों को 'एशिया का दिल' मानता है। उन्होंने कहा कि ये सभी देश देश शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य भी हैं और भारत व्यापक तरीके से सहयोग को आगे बढ़ाना चाहता है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव को लेकर भारत और मध्य एशियाई देशों की साझा चिंताएं हैं क्योंकि इनमें से कुछ देशों की सीमाएं अफगानिस्तान से लगती हैं।
इस साल हुआ था पहला भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जनवरी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी जिसमें कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्र प्रमुखों ने भाग लिया था। शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और मध्य एशियाई नेताओं ने भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अगले कदमों पर चर्चा की थी। इस शिखर सम्मलेन को हर दो वर्ष में आयोजित करने का फैसला भी हुआ था।