कोविड वैक्सीनेशन और बढ़ते हार्ट अटैक में है संबंध? 2 हफ्ते में आएगी ICMR की रिपोर्ट
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) भारत में हार्ट अटैक के कारण होने वाली मौतों में अचानक वृद्धि और कोरोना वायरस वैक्सीन के बीच संभावित संबंध को लेकर अध्ययन कर रहा है। ICMR के महानिदेशक राजीव बहल ने कहा है कि अगले 2 हफ्तों के भीतर इस अध्ययन के प्राथमिक निष्कर्षों की रिपोर्ट आ जाएगी। इस रिपोर्ट को प्रकाशित होने के लिए दिया जा चुका है और मूल्यांकन के बाद ये सार्वजनिक हो जाएगी।
शोधकर्ताओं ने किए हैं 4 अलग-अलग अध्ययन- ICMR
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ICMR के निदेशक बहल ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान जर्नल (IJMR) द्वारा इस अध्ययन को स्वीकार कर लिया गया है और इसका अभी एक स्वतंत्र मूल्यांकन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शोधकर्ता किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए सामने आए सभी प्रारंभिक निष्कर्षों की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शोधकर्ताओं ने 4 अलग-अलग अध्ययन किए हैं।
अध्ययन को लेकर क्या बोले ICMR निदेशक?
बहल ने कहा कि पहला अध्ययन हार्ट अटैक से युवाओं की मौत के कारणों पर केंद्रित है, जबकि दूसरा अध्ययन वैक्सीनेशन और गंभीर और लॉन्ग कोविड के कारण अचानक हार्ट अटैक का आंकलन करने के लिए है। उन्होंने कहा कि ICMR ने उन मरीजों पर भी एक साल तक नजर रखी, जो वायरस से संक्रमित थे और लंबे समय तक अस्पतालों में भर्ती रहे।
40 अस्पतालों के डाटा को अध्ययन में किया गया शामिल
रिपोर्ट के मुताबिक, ICMR ने अध्ययन के लिए 40 अस्पतालों के क्लीनिकल रजिस्ट्रेशन से डाटा जुटाया है। ICMR ने तीसरे अध्ययन में अचानक होने वाली मौतों पर ध्यान केंद्रित किया गया और इसमें बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की पहचान की गई, जिनकी मौत अचानक दिल का दौरा पड़ने या मस्तिष्क का आघात पड़ने से हुई है। इसके अलावा चौथा अध्ययन उन लोगों पर केंद्रित है, जिन्हें दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन उनकी मौत नहीं हुई।
स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने किया था अध्ययन का ऐलान
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मार्च में ICMR के इस अध्ययन की घोषणा की थी। उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के बाद दिल के दौरे के कारण होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि होने की बात को स्वीकार किया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि दिल के दौरे के कारण होने वाली मौतों से उत्पन्न आंकड़ों की एक अलग समीक्षा AIIMS दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा भी की जा रही है।