
#NewsBytesExplainer: क्या है देश के पहले हाइड्रोजन ट्रेन इंजन की खासियत, ये कैसे काम करता है?
क्या है खबर?
भारतीय रेलवे ने तकनीक के मामले में एक और बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर ली है। अब आपको जल्द ही पटरियों पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें नजर आएंगी। 25 जुलाई को देश के पहले हाइड्रोजन से चलने वाले रेल इंजन का सफल परीक्षण किया गया है। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में ये परीक्षण किया गया है, जिसकी जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी है। आइए आज हाइड्रोजन ट्रेनों के बारे में जानते हैं।
बयान
रेल मंत्री ने क्या कहा?
रेल मंत्री वैष्णव ने परीक्षण का वीडियो साझा करते हुए लिखा, 'चेन्नई स्थित ICF में पहले हाइड्रोजन चलित कोच का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। भारत 1,200 हॉर्सपावर वाली हाइड्रोजन ट्रेन विकसित कर रहा है। इससे भारत हाइड्रोजन चलित ट्रेन तकनीक में अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा।' बता दें कि 1,200 हॉर्सपावर की क्षमता इसे जर्मनी, फ्रांस और चीन जैसे देशों की मौजूदा हाइड्रोजन ट्रेनों से अधिक शक्तिशाली बनाती हैं। इन देशों के पास 500-600 हॉर्सपावर वाली हाइड्रोजन ट्रेनें हैं।
हाइड्रोजन ट्रेन
क्या होती है हाइड्रोजन ट्रेन?
दरअसल, किसी भी ट्रेन को चलाने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है। पहले ये ऊर्जा कोयले के जरिए दी जाती थी, जिसे बाद में बिजली और डीजल से दिया जाने लगा। अब ट्रेन का यही ऊर्जा हाइड्रोजन के जरिए दी जाएगी। यह न सिर्फ यात्रियों के लिए आरामदायक हैं, बल्कि इन ट्रेनों से डीजल और बिजली से चलने वाली ट्रेनों के मुकाबले प्रदूषण न के बराबर होता है। इससे ये पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हैं।
काम
कैसे काम करती हैं हाइड्रोजन ट्रेनें?
इन ट्रेनों में हाइड्रोजन फ्यूल सेल नामक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रेनों में एक टैंक में हाइड्रोजन गैस भरी जाती है, जिसकी आसपास के वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन से रासायनिक अभिक्रिया कराई जाती है। इससे बिजली पैदा होती है। ट्रेन में एक बैटरी सिस्टम भी होता है, जिसे हाइड्रोजन फ्यूल सेल चार्ज करेगा। जब ट्रेन को ज्यादा बिजली की जरूरत होती है, तो बैटरी मदद करती है। कम जरूरत पर बैटरी चार्ज होती रहती है।
रूट
कहां से कहां तक चलाई जाएगी हाइड्रोजन ट्रेन?
रिपोर्ट के मुताबिक, पहली हाइड्रोजन ट्रेन को पायलट प्रोजेक्ट के तहत हरियाणा के जींद-सोनीपत ट्रैक पर चलाया जाएगा। ये बगैर एसी वाली ट्रेन होगी, जिसमें 2 हाइड्रोजन इंजन और 8 कोच होंगे और ये 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। कहा जा रहा है कि 31 अगस्त तक ये ट्रेन पूरी तरह तैयार हो जाएगी। रेलवे की योजना इन ट्रेनों को हेरिटेज और पहाड़ी मार्गों पर चलाने की है।
खासियत
क्या है ट्रेनों की खासियत?
यह ट्रेन पारंपरिक डीजल या कोयले वाली ट्रेनों की तुलना में 60 प्रतिशत कम शोर उत्पन्न करती है, जिससे यात्रियों को आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलेगा। इन ट्रेनों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे धुआं या प्रदूषण बिल्कुल नहीं होता। इससे वातावरण को नुकसान नहीं होता और ट्रेन चलाने का खर्च भी कम होता है। ऐसे मार्ग जहां अभी इलेक्ट्रिफिकेशन नहीं हुआ है, वहां ये ट्रेनें बेहद किफायती साबित हो सकती हैं।
देश
किन देशों के पास हैं हाइड्रोजन ट्रेनें?
जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन जैसे देशों के पास ये ट्रेनें हैं। अब भारत में इन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। यह ट्रेन रेलवे की 'हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज' परियोजना का हिस्सा है। इसके तहत 2030 तक भारतीय रेलवे को नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुंचाना है। इसके लिए वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में 2,800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। भारत कुल 35 हाइड्रोजन ट्रेनों को विकसित करेगा।