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मनरेगा से कितना अलग है 'VB-जी राम जी?' रोजगार के दिन समेत क्या-क्या बदला?
मनरेगा योजना की जगह सरकार ने नया विधेयक पेश किया है

मनरेगा से कितना अलग है 'VB-जी राम जी?' रोजगार के दिन समेत क्या-क्या बदला?

लेखन आबिद खान
Dec 18, 2025
06:39 pm

क्या है खबर?

विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक यानी VB-जी राम जी विधेयक लोकसभा से पारित हो गया है। इस दौरान लोकसभा में खूब हंगामा हुआ और विपक्षी सांसदों ने विधेयक की प्रति फाड़ी और विरोध करते हुए वेल तक आ गए। ये विधेयक मनरेगा की जगह लेगा, जिसे कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में पेश किया था। आइए विधेयक के अहम प्रावधान जानते हैं।

विधेयक

सबसे पहले विधेयक के बारे में जानिए

यह विधेयक रोजगार के लिए लाए गए मनरेगा की जगह एक नया ढांचा लाने की कोशिश करता है और ग्रामीण रोजगार को विकसित भारत 2047 के विजन से जोड़ता है। सरकार का कहना है कि ये विधेयक ग्रामीण विकास को तेज, आधुनिक और टिकाऊ बनाएगा और ग्रामीण रोजगार व आजीविका को नए ढांचे में लाकर मजबूत करेगा। पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक और शिकायतों के समाधान के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर मजबूत प्रणाली विकसित की जाएगी।

दिन

काम के दिनों में हुई बढ़ोतरी

नए विधेयक के तहत हर ग्रामीण परिवार को 125 दिन का रोजगार मिलेगा। मनरेगा में ये अवधि 100 दिन थी। यह रोजगार उन परिवारों को मिलेगा, जिनके वयस्क सदस्य बिना किसी विशेष कौशल के काम करने के लिए तैयार हों। सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार होगा, बल्कि गांवों का समग्र विकास भी संभव होगा। इसमें केवल रोजगार के अलावा समग्र विकास पर ध्यान दिया गया है।

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राज्य

राज्यों पर आया फंडिंग का बोझ

मनरेगा में योजना का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी, लेकिन अब राज्यों को भी खर्च वहन करना होगा। पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर) में योजना का 90 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार उठाएगी। वहीं, दूसरे राज्यों में 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार उठाएंगी। जिन केंद्र शासित राज्यों में विधानसभा नहीं हैं, वहां का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।

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भुगतान

मजदूरों को हर हफ्ते मिलेंगे पैसे

मनरेगा में हर 15 दिन में मजदूरी का भुगतान होता था। नए विधेयक में मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक आधार पर या काम पूरा होने के अधिकतम 15 दिनों के भीतर करना जरूरी होगा। अगर आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान रखा गया है। हालांकि, विधेयक में मजदूरी की राशि का स्पष्ट जिक्र नहीं है। यानी मजदूरी की दर केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग तय कर सकती हैं।

खेती

खेती के समय काम पर लगेगी रोक

इस योजना के अंतर्गत बुआई और कटाई के मौसम में 60 दिन का विशेष समय रखा गया है। इस दौरान मजदूरों को काम नहीं दिया जाएगा। दरअसल, किसानों की शिकायतें आती थीं कि मनरेगा में लगे होने की वजह से उन्हें खेती के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इससे किसानों को मजदूर मिल सकेंगे और फर्जी तरीके से मजदूरी को नहीं बढ़ाया जा सकेगा। राज्य सरकार इन 60 दिनों की अवधि को खुद नोटिफाई करेगी।

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