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श्रीनगर में लगे एक पोस्टर ने पुलिस को कैसे आतंकी स्लीपर सेल तक कैसे पहुंचाया?
श्रीनगर में लगे एक पोस्टर ने पुलिस को फरीदाबाद में विस्फोटकों तक पहुंचाया

श्रीनगर में लगे एक पोस्टर ने पुलिस को कैसे आतंकी स्लीपर सेल तक कैसे पहुंचाया?

Nov 10, 2025
12:20 pm

क्या है खबर?

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद में एक डॉक्टर के घर छापा मारकर 360 किलोग्राम RDX बरामद करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय चिकित्सा पेशेवरों के एक आतंकी मॉड्यूल (स्लीपर सेल) का पर्दाफाश किया है। पुलिस को यह सफलता श्रीनगर के नोगाम इलाके में लगे एक पोस्टर के आधार पर मिली है, जिसमें दुकानदारों को केंद्रीय एजेंसियों से लेन-देन न करने की चेतावनी दी गई थी। आइए जानते हैं इस पोस्टर के जरिए कैसे सफलता मिली।

कार्रवाई

पुलिस ने मौके से क्या-क्या बदामद किया?

पुलिस ने फरीदाबाद के धौज गांव में कथित डॉक्टर के कमरे से 360 किलोग्राम RDX, 350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, 14 बैग, दो AK-47 और भारी मात्रा में कारतूस भी मिले हैं। कमरे में 5 लीटर रासायन भी रखा था। कुल बरामद सामान की संख्या 48 है। पुलिस की यह कार्रवाई यह चिकित्सा जैसे पेशेवर क्षेत्रों में कट्टरपंथी तत्वों की घुसपैठ की गहराई और ऐसे स्लीपर-प्रकार के मॉड्यूल से उत्पन्न खतरों को रेखांकित करता है। पुलिस इसकी जांच में जुटी है।

सुराग

पुलिस को कैसे हुआ शक?

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नोगाम इलाके में पोस्टर दिखने के बाद पुलिस ने इलाके में लगे CCTV की फुटेज खंगाली, जिसमें पोस्टर लगाने वाले की पहचान सहारनपुर निवासी के रूप में हुई। उसके बाद पुलिस ने 6 नवंबर को सहारनपुर में दबिश देकर डॉक्टर आदिल अहमद राठेर को गिरफ्तार कर लिया, जो कश्मीरी मूल का डॉक्टर निकला। जम्मू-कश्मीर में पूछताछ के दौरान उसने श्रीनगर के 3 अन्य चिकित्सकों से अपने संबंधों का खुलासा किया।

सक्रियता

4 साल से सक्रिय था यह गिरोह

पुलिस ने अनुसार, यह गिरोह साल 2021-22 में सक्रिय हुई थी। शुरुआत में हाशिम नाम के एक व्यक्ति के मार्गदर्शन में और बाद में घाटी में डॉ उमर नामक एक नए नेतृत्व के तहत पुनर्गठित हुई। गिरफ्तारी के बाद डॉ अदील ने डॉ मुफाजिल शकील और डॉ मुजम्मिल के नाम का खुलासा कर दिया। शकील पुलवामा के कोइल निवासी शकील अहमद गनई के बेटा है। उसी खुलासे के आधार पर पुलिस ने फरीदाबाद से विस्फोटक बरामद किए हैं।

योजना

क्या थी इस स्लीपर सेल की योजना?

पुलिस के खुलासे के अनुसार, गिरोह का उद्देश्य इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) बनाना और देश भर में आतंकी हमले करना था। वे भविष्य में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों से जुड़कर अपना खुद का आतंकवादी संगठन स्थापित करने की भी योजना बना रहे थे। इससे पहले, अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज में डॉ अदील के लॉकर से 1 AK-47 राइफल भी बरामद की गई थी। पुलिस अब दोनों डॉक्टरों की तलाश में जुटी है।

ठिकाना

आरोपियों ने फरीदाबाद में ही क्यों चुना ठिकाना?

शीर्ष खुफिया सूत्रों के अनुसार, ये आतंकी बाहरी तौर पर लो-प्रोफाइल पेशेवर कवर का लाभ उठाते हुए भंडारण और लॉजिस्टिक योजनाओं को बखूबी अंजाम दे रहे थे। फरीदाबाद की दिल्ली से रणनीतिक निकटता और ग्रामीण इलाके में विस्फोटकों के भंडारण में आसानी को देखते हुए ही उन्होंने यहां अपना ठिकाना बनाया था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि समूह की घोषित महत्वाकांक्षाओं में दिल्ली-NCR क्षेत्र में बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देना शामिल था।

खतरा

क्या अभी खतरा बना हुआ है?

जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि नेटवर्क पूरी तरह से फैला हुआ है। श्रीनगर में लगे पोस्टर एक बड़े ढांचे के संकेत मात्र थे और फरीदाबाद में विस्फोटकों और राइफलों की बरामदगी से पूरे भारत में इसकी पहुंच का पता चलता है। डॉक्टर अदील की गिरफ्तारी से शुरू हुए घटनाक्रम से पहले तक डॉक्टर अपनी पेशेवर सुरक्षा का इस्तेमाल कम सार्वजनिक रूप से करते रहे। ऐसे में देशभर में तलाशी अभियान चलाया जाना चाहिए।

कार्रवाई

पुलिस ने क्या की है कार्रवाई?

अधिकारियों ने बताया कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, इसमें शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए शस्त्र अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए हैं। अधिकारियों का कहना है कि अब प्राथमिकता विस्फोटकों की आपूर्ति श्रृंखला, बाहरी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों का पता लगाना और उस बड़े संगठन को ध्वस्त करना है जिसे यह मॉड्यूल बनाना चाहता था।