सरकार ने कही लॉकडाउन में 1.05 करोड़ मजदूरों के पलायन की बात, लेकिन असल संख्या ज्यादा
क्या है खबर?
देश के चार करोड़ प्रवासी मजदूरों में से 25 प्रतिशत से थोड़े ज्यादा (लगभग 1.05 करोड़) कोरोना वायरस महामारी और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण अपने घर लौटे हैं।
श्रम और रोजगार राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने सोमवार को एक लिखित सवाल के जवाब में लोकसभा को यह जानकारी दी।
इनमें से सबसे ज्यादा 32.50 लाख मजदूर उत्तर प्रदेश और 15 लाख बिहार के रहने वाले थे, जो महामारी और लॉकडाउन के कारण अपने घर लौटे।
प्रवासी मजदूर संकट
सरकारी आंकड़ों से अधिक हो सकती है असल संख्या
सरकार द्वारा संसद को दी गई जानकारी में ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और गोवा समेत कई अन्य राज्यों में अपने घर लौटे मजदूरों की संख्या शामिल नहीं है।
ऐसे में यह बात साफ तौर पर समझ आती है कि महामारी और भूखमरी के डर से अपने घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा सरकार द्वारा बताई जा रही संख्या से ज्यादा है।
इनकी असल संख्या 1.05 करोड़ से कहीं अधिक हो सकती है।
संदेहास्पद आंकड़े
मजदूरों की कुल संख्या को लेकर भी अलग-अलग आंकड़े
इससे पहले 2011 की जनगणना के आधार पर सरकार ने बताया था कि देश में चार करोड़ प्रवासी मजदूर हैं। इसी संख्या के आधार पर श्रम और रोजगार राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने अपने घरों को लौटने वाले मजदूरों को कुल संख्या का 25 प्रतिशत बताया है।
वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में कहा था कि राज्य सरकारों से मिले डाटा के आधार पर उन्हें लगता है कि देश में आठ करोड़ प्रवासी मजदूर हैं।
प्रवासी मजदूर
किस राज्य में लौटे कितने मजदूर?
उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद सबसे ज्यादा 13.85 लाख प्रवासी मजदूर पश्चिम बंगाल स्थित अपने घरों को लौटे। इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है। यहां के 13.08 लाख प्रवासी मजदूर कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण अपने घर लौटे थे।
इनके अलावा मध्य प्रदेश के 7.54 लाख, झारखंड के 5.30 लाख, पंजाब के 5.16, असम के 4.26 लाख, केरल के 3.11 लाख, महाराष्ट्र के 1.83 लाख मजदूरों ने अलग-अलग हिस्सों से अपने घर लौटे।
जानकारी
जम्मू-कश्मीर के 48,780 प्रवासी मजदूर लौटे घर- सरकार
अगर केंद्र शासित प्रदेशों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर के 48,780, दादर और नगर हवेली और दमन-दीव के 43,747 प्रवासी मजदूर अपने घर आए थे। यह सरकार के दिए गए जवाब से सामने आई जानकारी है।
प्रवासी मजदूर
इन पांच राज्यों से होता है सबसे ज्यादा पलायन
उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड से सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर काम के लिए देश के दूसरे राज्यों में जाते हैं।
सरकार की तरफ से लोकसभा में दी गई जानकारी में सबसे ज्यादा पलायन देखने वाले शीर्ष पांच राज्यों में से केवल चार को शामिल किया गया है।
ऐसे में भी 'रिवर्स माइग्रेशन' करने वाले मजदूरों की संख्या ज्यादा होने की बात समझ आती है।
बयान
क्या होता है रिवर्स माइग्रेशन?
जब मजदूर घर छोड़कर शहर या दूसरे राज्यों में जाते हैं तो इसे माइग्रेशन (पलायन) और ऐसा करने वालों को प्रवासी मजदूर कहा जाता है। अब लॉकडाउन और कोरोना वायरस के कारण जब ये मजदूर वापस घर लौटे को तो इसे रिवर्स माइग्रेशन कहा गया।
प्रवासी संकट
जान गंवाने वाले मजदूरों की संख्या भी सरकार को मालूम नहीं
सरकार के पास घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की असल संख्या के साथ-साथ इस दौरान जान गंवाने वाले मजदूरों का भी आंकड़ा नहीं है।
सरकार ने कहा कि इस तरीके के आंकड़े इकट्ठा नहीं किए गए थे।
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने ये भी कहा कि उसने महामारी के दौरान गईं नौकरियों पर भी नजर नहीं रखी है और उसके पास इससे भी संबंधित कोई डाटा नहीं है।
प्रवासी मजदूर संकट
लॉकडाउन के दौरान देखते को मिला था आजाद भारत का सबसे बड़ा पलायन
बता दें कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मार्च में लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के बाद लाखों प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े थे और आजाद भारत के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में पलायन देखने को मिला था।
घर वापसी के दौरान कई मजदूरों की गाड़ियों और ट्रेनों के नीचे आने से मौत हो गई थी। वहीं श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों में भी लगभग 110 मजदूरों की मौत हो गई थी।