
रक्षा उद्देश्यों के लिए लक्षद्वीप के बिट्रा द्वीप का अधिग्रहण करने की तैयारी में सरकार
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने हिंद महासागर में अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए लक्षद्वीप के बिट्रा द्वीप का अधिग्रहण करने का फैसला लिया है। फिलहाल इस द्वीप पर 105 परिवार रहते हैं। यह लक्षद्वीप द्वीप समूह के 10 बसे हुए आबादी वाले द्वीपों में से एक है। इसको लेकर लक्षद्वीप प्रशासन ने 11 जुलाई को एक नोटिफिकेशन जारी किया है। हिंद महासागर में भारत की नौसैनिक मौजूदगी और समुद्री निगरानी के लिहाज से यह द्वीप अहम है।
नोटिफिकेशन
सरकार ने कहा- रक्षा उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित किया जाएगा द्वीप
राजस्व विभाग ने एक नोटिफिकेशन में कहा कि बिट्रा द्वीप को रक्षा उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित किया जा रहा है। सरकार अब इस कदम का असर पता करने के लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (SIA) करेगी। इस मूल्यांकन का उद्देश्य पूरे द्वीप को उसकी 'रणनीतिक स्थिति' और 'राष्ट्रीय सुरक्षा प्रासंगिकता' के कारण रक्षा और रणनीतिक एजेंसियों को हस्तांतरित करना है। नोटिफिकेशन के मुताबिक, द्वीप की रणनीतिक अहमियत और राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण यह फैसला लिया गया है।
सहमति
सभी हितधारकों से किया जाएगा परामर्श
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के प्रावधानों के तहत SIA की जरूरत है। इसमें राजस्व विभाग को परियोजना डेवलपर के रूप में पहचाना गया है और कहा गया है कि इस प्रक्रिया में ग्राम सभा सहित प्रस्तावित क्षेत्र के सभी हितधारकों के साथ परामर्श किया जाएगा। हालांकि, प्रशासन ने कहा है कि ग्राम सभा या जमीन मालिकों की सहमति अनिवार्य नहीं है।
विरोध
विरोध में उतरे स्थानीय सांसद
लक्षद्वीप से कांग्रेस के सांसद हामदुल्ला सईद ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने स्थानीय लोगों से कोई सलाह नहीं ली और यह इलाके में शांति भंग करने की कोशिश है। उन्होंने कहा, "बिट्रा जैसे पारंपरिक और शांत द्वीप को अचानक सैन्य जरूरतों के नाम पर खाली कराने की कोशिश न केवल स्थानीय लोगों के हक के खिलाफ है, बल्कि इससे सामाजिक अशांति भी फैलेगी।"
अहमियत
क्यों अहम है बिट्रा द्वीप?
बित्रा लक्षद्वीप का सबसे छोटा आबादी वाला द्वीप है। इसका क्षेत्रफल केवल 0.105 वर्ग किलोमीटर है। यह 0.57 किलोमीटर लंबा और सबसे चौड़े हिस्से में 0.28 किलोमीटर चौड़ा है। यह द्वीप कोच्चि से 483 किलोमीटर दूर है। पहले ये एक विरान और बंजर द्वीप था। 1940 के दशक के आसपास से यहां कुछ लोग रहने और आबादी बढ़ने लगी। हिंद महासागर में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से यह द्वीप बेहद संवेदनशील है।
स्थानीय लोग
क्या कह रहे हैं स्थानीय लोग?
द्वीप के सरकारी सीनियर बेसिक स्कूल के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक अहमद थाजिल ने कहा, "मैं यहीं पैदा हुआ और पला-बढ़ा हूं। मैंने अपना पूरा जीवन इसी द्वीप पर बिताया है। अब लगता है कि हमें यहां से जाना ही होगा। हम ऐसा नहीं होने देंगे।" लक्षद्वीप के यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अली अकबर ने कहा, "यह हितधारकों के साथ कोई चर्चा किए बिना अचानक लिया गया निर्णय है। हमने कल निवासियों के साथ एक बैठक की और उनकी चिंताओं को समझा।"