
सरकार ने वापस लिया फरवरी में लोकसभा में पेश किया गया आयकर विधेयक, जानिए कारण
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करने के लिए 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किए गए आयकर विधेयक 2025 को शुक्रवार को औपचारिक रूप से वापस ले लिया है। विधेयक का नया संस्करण अब 11 अगस्त को फिर से लोकसभा में पेश किया जाएगा। इसमें भाजपा नेता बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति द्वारा की गई अधिकांश सिफारिशें शामिल होंगी। आइए इस संबंध में पूरी खबर जानते हैं।
बयान
विधेयक को किया गया है अपडेट- पांडा
प्रवर समिति के अध्यक्ष पांडा ने कहा कि विधेयक के नए संस्करण से पहले के विभिन्न संस्करणों के कारण पैदा हुई भ्रम की स्थिति दूर हो सकेगी और इसमें सभी परिवर्तनों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, "नया कानून पारित होने के बाद भारत की दशकों पुरानी कर संरचना को सरल बनाएगा, कानूनी भ्रम को कम करेगा, और व्यक्तिगत करदाताओं और MSME को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने में भी मदद करेगा।"
संशोधन
वर्तमान आयकर अधिनियम में हुए 4,000 से अधिक संशोधन
पांडा ने IANS से कहा, "वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 में 4,000 से अधिक संशोधन हो चुके हैं और इसमें 5 लाख से अधिक शब्द हैं। यह बहुत जटिल हो गया है। नया विधेयक इसे लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाता है, जिससे आम करदाताओं के लिए इसे पढ़ना और समझना और अधिक आसान हो गया है।" उन्होंने कहा, "इस सरलीकरण का सबसे बड़ा लाभ छोटे व्यवसाय मालिकों को होगा, जिनके पास जटिल कर संरचनाओं से की सुविधा नहीं होती है।"
बदलाव
आयकर स्लैब में किए गए हैं बदलाव
सरकार ने करदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए आयकर स्लैब और दरों में व्यापक बदलाव किए हैं। वित्त अधिनियम, 2025 ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 87A के तहत टैक्स छूट का दावा करने के लिए आय सीमा को अधिनियम की धारा 115BAC के तहत नई कर व्यवस्था के तहत कर योग्य निवासी व्यक्ति के लिए 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है। इसी तरह अधिकतम छूट राशि 25,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये किया गया है।
विरोध
विपक्ष ने किया था विधेयक का विरोध
13 फरवरी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के विधेयक पेश करते समय विपक्ष के कुछ सदस्यों ने सदन का बहिष्कार कर दिया था, जबकि अन्य ने तीखे सवाल दागे थे। इनमें कांग्रेस के मनीष तिवारी और RSP के एनके प्रेमचंद्रन शामिल थे, जिन्होंने कहा था कि नया आयकर विधेयक पुराने से ज्यादा जटिल है। तृणमूल सांसद (TMC) सांसद सौगत रॉय ने भी इसकी आलोचना की थी। उसके बाद इस विधेयक को प्रखर समिति के पास भेजने का निर्णय किया था।