सरकार ने खत्म की मोबाइल फोन में 'संचार साथ ऐप' पहले से इंस्टॉल करने की अनिवार्यता
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने 'संचार साथ ऐप' को लेकर खड़े हुए विवाद के बाद बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने भारत में बिक्री के लिए निर्मित या आयात किए जाने वाले सभी नए मोबाइल फोन में इस ऐप को पहले से ही इंस्टॉल करने की अनिवार्यता को अब खत्म कर दिया है। दरअसल, इस अनिवार्यता को विपक्षी दलों ने लोगों की जासूसी बताते हुए उनके मौलिक अधिकारों को उल्लंघन करार दिया था। उसके बाद से लगातार विवाद बढ़ता जा रहा था।
बयान
सरकार ने क्या जारी किया बयान?
संचार मंत्रालय की ओर से कहा गया है, "संचार साथी ऐप की बढ़ती स्वीकार्यता को देखते हुए सरकार ने मोबाइल फोन निर्माताओं के लिए इसको पहले से इंस्टॉल करने की अनिवार्यता का आदेश वापस लेने का फैसला किया है। पिछले 24 घंटों में इस ऐप की स्वीकार्यता में तेजी देखी गई है, जिसके दौरान 6 लाख नए पंजीकरण दर्ज किए गए, जो दैनिक उपयोग में 10 गुना वृद्धि है। यह तेजी इस ऐप पर नागरिकों के विश्वास की पुष्टि है।"
स्पष्ट
आवश्यकता पड़ने पर हटाया जा सकता है ऐप
सरकार ने आगे कहा, "ऐप को पहले से इंस्टॉल करने का आदेश सभी नागरिकों को साइबर सुरक्षा प्रदान करने के इरादे से दिया गया था। यह ऐप पूरी तरह से सुरक्षित है और लोगों को साइबर हमलों से बचाने के लिए बनाया गया है। ऐप में उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के अलावा कोई अन्य कार्य नहीं है। इसे आवश्यकता न होने पर हटा भी सकते हैं।" बता दें कि मंगलवार को संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी यही सफाई दी थी।
बयान
सिंधिया ने लोकसभा में भी किया था ऐप का बचाव
संचार मंत्री सिंधिया ने सुबह लोकसभा में कहा था, "ऐप के साथ जासूसी न तो संभव है और न होगी। मैं इसे किसी भी अन्य ऐप की तरह हटा सकता हूं, क्योंकि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है। हमने इसे सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए यह कदम (अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन) उठाया है।" उन्होंने कहा, "ऐप की सफलता जनता की भागीदारी पर आधारित है, लेकिन अब जनता से मिले फीडबैक के आधार पर हम व्यवस्था में बदलाव करेंगे।"
आदेश
सरकार ने क्या जारी किया था आदेश?
मंत्रालय ने पहले जारी आदेश में ऐपल, सैमसंग, वीवो और ओप्पो जैसी सभी स्मार्टफोन कंपनियों को सभी नए स्मार्टफोन में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल करने का आदेश दिया था। इसी तरह पुराने स्मार्टफोन में नए अपडेट के साथ यह सुविधा मुहैया कराने को कहा था। सरकार ने कंपनियों को इसके लिए 90 दिन का समय दिया है। बड़ी बात यह थी कि उपयोगकर्ता इसे हटा नहीं सकते थे, लेकिन बाद में स्थिति स्पष्ट की गई।
सवाल
विपक्षी दलों ने ऐप की अनिवार्यता पर उठाए थे सवाल
सरकार के इस आदेश का बड़े स्तर पर विरोध शुरू हो गया था। विपक्षी दलों ने इसे असंवैधानिक और लोगों पर सरकारी निगरानी को बढ़ावा देने का प्रयास बताया था। शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस आदेश की तुलना 'बिग बॉस निगरानी' से की थी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आदेश को संवैधानिक अधिकारों पर लगातार हो रहे हमलों की लंबी श्रृंखला का हिस्सा और निगरानी करने के लिए एक तानाशाही उपकरण बताया था।
तुलना
कार्ति चिदंबरम ने पेगासस की ऐप की थी तुलना
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने लिखा था, 'यह पेगासस ++ है। बिग ब्रदर हमारे फोन और लगभग पूरी निजी जिदगी पर कब्जा कर लेगा।' कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा थाक यह जासूसी ऐप है और स्पष्ट रूप से हास्यास्पद है। नागरिकों को अपने परिवार और दोस्तों को संदेश भेजने की निजता का अधिकार है। वे इस देश को में तानाशाही में बदल रहे हैं। संसद नहीं चल रही है क्योंकि वे हर विषय पर बात करने से बचते हैं।
ऐप
'संचार साथी ऐप' क्या है?
'संचार साथी ऐप' सरकार द्वारा बनाया गया एक सुरक्षा टूल है, जिससे उपयोगकर्ता अपने चोरी या खोए हुए मोबाइल को तुरंत ब्लॉक कर सकते हैं। इस ब्लॉकिंग के बाद फोन कहीं भी इस्तेमाल होगा तो एजेंसियां उसकी लोकेशन पता कर सकेंगी। ऐप में कई फीचर हैं, जहां लोग फर्जी कॉल, नकली SMS या गलत व्हाट्सऐप मैसेज की रिपोर्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, उपयोगकर्ता अपने नाम पर रजिस्टर्ड सभी मोबाइल नंबर भी आसानी से चेक कर सकते हैं।