LOADING...
व्लादिमीर पुतिन की यात्रा पर यूरोपीय राजदूतों का विरोधी रुख, जानिए भारत ने क्या कदम उठाया
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले यूरोपीय राजदूनों ने अपनाया विरोध रुख

व्लादिमीर पुतिन की यात्रा पर यूरोपीय राजदूतों का विरोधी रुख, जानिए भारत ने क्या कदम उठाया

Dec 03, 2025
06:48 pm

क्या है खबर?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बुधवार (4 दिसंबर) को अपने 2 दिवसीय आधिकारी दौरे पर भारत आ रहे हैं। इससे पहले भारत में मौजूद ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राजदूतों ने विवाद खड़ा कर दिया है। इन राजदूतों ने एक भारतीय अखबार में पुतिन की जमकर आलोचना की है। यह लेख 1 दिसंबर को प्रकाशित हुआ है। अब भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राजदूतों के इस कदम को पूरी तरह अस्वीकार्य और असामान्य करार दिया है।

दोषी

राजदूतों ने लेख में पुतिन को ठहराया दोषी

ब्रिटिश उच्चायुक्त लिंडी कैमरून, फ्रांसीसी राजदूत थिएरी मथौ और जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने संयुक्त रूप से TOI में दिए एक लेख में यूक्रेन में युद्ध के लिए पुतिन को दोषी ठहराया है। उन्होंने 'पूरा विश्व चाहता है कि यूक्रेन युद्ध समाप्त हो, लेकिन रूस शांति के बारे में गंभीर नहीं है' शीर्षक वाले इस लेख में लिखा कि रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले पूरी निर्दयता के साथ आक्रामक युद्ध छेड़ने का एक व्यवस्थित विकल्प है।

दावा

राजदूतों ने किया चौंकाने वाला दावा

राजदूतों ने दावा किया कि शांति वार्ता शुरू होने के बाद से रूस ने यूक्रेन में सबसे बड़े हवाई हमलों में से लगभग 2 दर्जन हमले किए हैं। यह किसी ऐसे व्यक्ति की कार्रवाई नहीं है जो शांति के प्रति गंभीर है। न ही ये अंधाधुंध हमले महज दुर्घटनाएं हैं, बल्कि ये रूस का आक्रामक युद्ध छेड़ने का एक व्यवस्थित विकल्प है। अब इसे समाप्त किया जाना चाहिए। पुतिन युद्ध समाप्त कर सकते हैं, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे।

Advertisement

आरोप

राजदूतों ने लगाया दुर्भावनापूर्ण वैश्विक गतिविधि संचालित करने का आरोप

तीनों राजदूतों ने दावा किया कि रूस साइबर हमलों और गलत सूचनाओं के माध्यम से दुर्भावनापूर्ण वैश्विक गतिविधि संचालित कर रहा है, जो दर्शाता है कि क्षेत्रीय विस्तार और वैश्विक अस्थिरता के लिए रूसी नेतृत्व की भूख यूक्रेन से कहीं आगे तक जाती है। उन्होंने युद्ध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी का जिक्र करते हुए लिखा, 'इस मामले पर भारत की आवाज़ भी जोरदार और स्पष्ट है कि युद्ध के मैदान में समाधान नहीं निकाला जा सकता।'

Advertisement

निंदा

भारत ने की लेख की निंदा

भारत ने तीनों राजदूतों द्वारा रूस विरोधी लेख की कड़े शब्दों में निंदा की है। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए द हिंदू से कहा, "यह बहुत ही असामान्य है। तीसरे देश के संबंधों पर सार्वजनिक बयान देना स्वीकार्य कूटनीतिक परंपरा नहीं है। हमने इस पर ध्यान दिया है।" पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा, "पुतिन की यात्रा से पहले रूस के खिलाफ यह दुर्भावनापूर्ण लेख कूटनीतिक मानदंडों का उल्लंघन है।"

हस्तक्षेप

सिब्बल ने बयान को बताया आंतरिक मामलों में हस्क्षेप

सिब्बल ने आगे कहा, "यह भारत का कूटनीतिक अपमान है क्योंकि यह एक बहुत ही मित्रवत तीसरे देश के साथ भारत के घनिष्ठ संबंधों पर सवाल उठाता है। यह हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है क्योंकि इसका उद्देश्य भारत में यूरोप समर्थक हलकों में रूस विरोधी भावनाओं को भड़काना और रूस के साथ हमारे संबंधों की नैतिकता पर सवाल उठाना है।" बता दें कि सिब्बल पहले फ्रांस और रूस में भारत के राजदूत के रूप में काम कर चुके हैं।

पलटवार

रूस ने भी किया राजदूतों के बयान पर पलटवार

इस मामले में रूस ने भी TOI में प्रतिक्रिया देते हुए राजदूतों पर पलटवार किया है। रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने 'यूरोप के 4 विश्वासघात यूक्रेन की शांति में बाधा डाल रहे' शीर्षक वाले संपादकीय में लिखा, 'रूस ने यूक्रेन के साथ कभी युद्ध नहीं चाहा। यूरोप और अमेरिका में ओबामा प्रशासन ने ही 2014 में तख्तापलट का समर्थन करके यूक्रेनी संघर्ष को भड़काया था, जिसके कारण विक्टर यानुकोविच को पद से हटा दिया गया था।'

आरोप

रूस ने यूरोप पर लगाया युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप

अलीपोव ने लिखा, '2025 में जब रूसी सेना सभी परिचालन अक्षों पर आगे बढ़ रही है, यूरोपीय नेता अब तत्काल युद्ध विराम की मांग कर रहे हैं और मानव जीवन की हानि पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। मानो यूरोप वह पक्ष नहीं था जो यूक्रेन को युद्ध बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था।' अलीपोव ने यूरोप पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित यूक्रेन शांति योजना को खत्म करने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया है।

Advertisement