
ट्रंप प्रशासन ने H-1B लॉटरी प्रणाली को खत्म करने का रखा प्रस्ताव, अब ऐसे मिलेगा वीजा
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा शुल्कों में बढ़ोतरी किए जाने के कुछ ही दिन बाद नियमों में एक बार फिर बड़ा बदलाव किया गया है। अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग ने मौजूदा लॉटरी प्रणाली को खत्म कर वेतन आधारित चयन प्रक्रिया लागू करने का प्रस्ताव रखा है। नए नियमों के अनुसार, उच्च कौशल और ज्यादा वेतन पाने वाले विदेशी पेशेवरों को H-1B वीजा मिलने की अधिक संभावना होगी, जबकि नियोक्ताओं को सभी वेतन स्तरों पर अवसर मिलता रहेगा।
चयन
वेतन स्तर पर चयन
प्रस्ताव के अनुसार, चयन अब पूरी तरह पहले से तय क्रम में नहीं होगा। जिन उम्मीदवारों का वेतन सबसे ऊंचे स्तर पर होगा, उन्हें 4 बार लॉटरी में शामिल किया जाएगा, जबकि सबसे कम वेतन वाले को केवल 1 बार मौका मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव बड़ी कंपनियों के पक्ष में होगा, क्योंकि वे उच्च वेतन देने में सक्षम हैं। स्टार्टअप्स और नई कंपनियों के लिए कुशल अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों को नियुक्त करना कठिन हो सकता है।
असर
भारतीय कंपनियों पर असर
भारत की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस और विप्रो जैसी IT कंपनियां H-1B वीजा पर ही काफी निर्भर हैं। नए शुल्क और नियमों के कारण इन कंपनियों की लागत काफी बढ़ सकती है, जिससे अरबों रुपये का नुकसान होगा। अमेरिकी आंकड़ों के मुताबिक, सभी स्वीकृत H-1B आवेदनों में 71 प्रतिशत भारतीय हैं। ऐसे में भारतीय पेशेवरों और कंपनियों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा और कई नौकरियां भारत लौट सकती हैं, जिससे वहां कंपनियों का नुकसान होगा।
बैठक
भारत-अमेरिका की होगी बैठक
यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका जा रहे हैं। वे न्यूयॉर्क में ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का मकसद नए शुल्क और नियमों से भारतीय कंपनियों पर पड़ने वाले असर को कम करना है। दोनों देशों के बीच होने वाली यह बातचीत आने वाले फैसलों के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
राय
विशेषज्ञों की राय क्या है?
विशेषज्ञों का कहना है कि नया प्रस्ताव अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वैश्विक प्रतिभा के प्रवाह को बदल सकता है। उच्च वेतन पाने वाले इंजीनियरों को कई लॉटरी प्रविष्टियां मिलेंगी, जबकि शुरुआती करियर वाले उम्मीदवारों को सिर्फ एक मौका मिलेगा। इससे बड़ी और स्थापित कंपनियों को फायदा होगा, जबकि छोटे स्टार्टअप्स और नई कंपनियां नुकसान में रहेंगी। यह बदलाव अमेरिका में वरिष्ठ, उच्च-वेतन वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता देगा और युवा अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं के अवसर घटा सकता है।