दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडिगो संकट पर नई जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया
क्या है खबर?
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को इंडिगो संकट को लेकर दायर नई जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। याचिका गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज (CASC) ने दायर की थी और इंडिगो संकट को लेकर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के खिलाफ जांच की मांग की थी। संगठन ने इंडिगो की उड़ानों के रद्द होने के कारण हवाई अड्डों पर फंसे यात्रियों को 4 गुना मुआवजा देने की भी मांग की थी।
याचिका
कोर्ट ने कहा- जनहित याचिकाएं वाहवाही बटोरने के लिए नहीं
कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि मामले पर एक जनहित याचिका पहले से हाई कोर्ट में लंबित है, इसलिए याचिकाकर्ता को नई याचिका के बजाय उसी में पक्षकार बनने की मांग करनी चाहिए थी। पीठ ने याचिकाकर्ता के उद्देश्य पर सवाल उठाते हुए कहा, "जनहित याचिकाएं वाहवाही बटोरने के लिए नहीं होतीं। आपको उस मामले में पक्षकार बनने का अनुरोध करना चाहिए था और हम इसकी अनुमति दे देते।"
सुनवाई
याचिकाकर्ता को पक्षकार बनने की स्वतंत्रता दी
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों की जांच पिछली जनहित याचिका में है, इसलिए नई याचिका पर विचार नहीं होगा। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लंबित याचिका में स्वयं को पक्षकार बनाने की स्वतंत्रता प्रदान की है। बार एंड बेंच के मुताबिक, इंडिगो संकट मामले पर कोर्ट ने 10 दिसंबर को सुनवाई कर प्रभावित यात्रियों को मुआवजा देने का आदेश दिया था। साथ ही केंद्र को दोषी एयरलाइनों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था।
संकट
क्या है इंडिगो संकट?
DGCA ने पायलट-चालक दल की ड्यूटी से जुड़े नियमों का दूसरा चरण 1 नवंबर से लागू किया था। इसमें पायलटों और चालक दल को 7 दिन काम के बाद 48 घंटे आराम, नाइट ड्यूटी का समय, 6 की बजाय केवल 2 नाइट लैंडिंग, लगातार 2 से ज्यादा नाइट ड्यूटी पर रोक और लंबी उड़ानों के बाद 24 घंटे का आराम जैसे नियम शामिल थे। इससे इंडिगो के पास पायलट-चालक दल की कमी हो गई और सैकड़ों उड़ानें रद्द करनी पड़ी।