दिल्ली में वायु प्रदूषण: पहली बार क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया संपन्न, जल्द होगी कृत्रिम बारिश
क्या है खबर?
दिल्ली में खतरनाक स्तर तक पहुंच चुके वायु प्रदूषण को नियंत्रति करने के लिए दिल्ली सरकार ने कृत्रिम बारिश करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बादल बनाना) की प्रक्रिया पूरी हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि अगर मौसम ठीक रहा तो शाम को एक और दौर चलाया जा सकता है। ऐसे में दिल्ली में अगले कुछ घंटों में कृत्रिम बारिश हो सकती है। आइए संबंध में पूरी जानकारी जानते हैं।
क्षेत्र
किन क्षेत्रों में की गई क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया?
न्यूज18 के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के बुराड़ी, मयूर विहार और करोल बाग क्षेत्रों में क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। शाम तक अन्य इलाकों में भी यह प्रक्रिया दोहराई जाएगी। शाम तक दिल्ली के कुछ इलाकों में कत्रिम बारिश हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि बारिश के बाद ही वायु प्रदूषण से राहत मिलने या न मिलने का पता चल पाएगा। बता दें कि यह भारत का पहला क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन है।
बयान
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने क्या दिया बयान?
क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, "हम कृत्रिम बारिश के मुद्दे पर लगातार चर्चा कर रहे हैं, क्योंकि हम दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए अनगिनत कदम उठा रहे हैं। हमने क्लाउड सीडिंग का परीक्षण किया है, यह देखने के लिए कि क्या यह दिल्ली की प्रदूषण समस्या का समाधान कर सकता है। यह एक प्रयोग है। अगर यह सफल रहा, तो मेरा मानना है कि दिल्लीवासियों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण समाधान निकलेगा।"
ट्विटर पोस्ट
यहां सुने मुख्यमंत्री गुप्ता का बयान
#WATCH | Delhi CM Rekha Gupta says, "We're constantly discussing the issue of artificial rain, as we're taking countless steps to address Delhi's pollution. We've also given cloud seeding a trial, hoping to see if it can solve Delhi's pollution problem. This is an experiment.… https://t.co/QMreMgNo6S pic.twitter.com/CajX7R61Rn
— ANI (@ANI) October 28, 2025
विमान
क्लाउड सीडिंग के लिए विमान ने कानपुर से भरी उड़ान
इस क्लाउड सीडिंग अभियान के लिए इस्तेमाल किए गए विमानों ने उत्तर प्रदेश के कानपुर से उड़ान भरी। दिल्ली सरकार के नेतृत्व में यह पहल IIT कानपुर के सहयोग से की गई। इस प्रक्रिया में क्लाउड-सीडिंग फ्लेयर्स से सुसज्जित विमान को नमी से भरे बादलों में उड़ाकर सिल्वर आयोडाइड और नमक आधारित यौगिकों जैसे कणों को फैलाना शामिल था। दिल्ली के लोगों को अब इस कृत्रिम बारिश का बेसब्री से इंतजार है।
सवाल
क्या होती है कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम परिस्थितियां पैदा कर बारिश करवाने को कृत्रिम बारिश कहा जाता है। आमतौर पर इसके लिए अलग-अलग रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में क्लाउड सीडिंग कहा जाता है। इस प्रक्रिया में बादलों के बीच सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे लवणों का छिड़काव किया जाता है, जो संघनन की प्रक्रिया को तेज करते हैं। ये रसायन हवा से पानी के कणों को सोख लेते हैं और संघनन प्रक्रिया शुरू करते हैं।
असर
प्रदूषण रोकने में कितनी कारगर है कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बारिश से वायु प्रदूषण को कितना काबू किया जा सकता है, इसका कोई सटीक आंकड़ा नहीं है और इस पर अध्ययन जारी है। हालांकि, ये हवा से प्रदूषक तत्वों और धूल को साफ करने में मदद करती है। लंबे समय तक बारिश होने से सूक्ष्म कण PM 2.5 और PM 10 भी साफ हो जाते हैं, लेकिन ओजोन और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे अन्य प्रदूषकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।
इतिहास
क्या पहले करवाई गई है कृत्रिम बारिश?
1945 में इस तकनीक को विकसित किया गया था। तब से अब तक करीब कई देश इसका इस्तेमाल कर चुके हैं। भारत में भी कई बार कृत्रिम बारिश कराई गई है। साल 1951 में टाटा द्वारा पश्चिमी घाटों पर सबसे पहले इस तरह की बारिश करवाई गई थी। इसके बाद कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में सूखे से निपटने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा चुका है। साल 2008 ओलिंपिक में चीन ने भी कृत्रिम बारिश करवाई थी।