#NewsBytesExplainer: राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता पर क्या है विवाद और क्या कहता है कानून?
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की कथित ब्रिटेन की नागरिकता वाला मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में 25 नवंबर को सुनवाई हुई थी। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा है। वहीं, सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि वह राहुल की नागरिकता रद्द करने या नहीं करने के मामले पर पर विचार कर रही है। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।
क्या है मामला?
कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने आरोप लगाए हैं कि राहुल के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है। शिशिर ने गहन जांच और गोपनीय जानकारी के हवाले से दावा किया कि राहुल के पास ब्रिटिश नागरिकता है। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से मामले की जांच करने और राहुल की कथित ब्रिटिश नागरिकता के आधार पर भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की है।
शिशिर का दावा- राहुल ब्रिटेन के नागरिक हैं
शिशिर ने कहा, "मुझे इस मामले में काफी उम्मीद है कि भारत सरकार राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को रद्द कर देगी। हमें ब्रिटिश सरकार से सीधे जानकारी मिली है कि राहुल गांधी का नाम उनके नागरिकता रिकॉर्ड में है। हमने यह दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत किए हैं। इसके अलावा, हमारे पास कुछ गोपनीय सबूत भी हैं, जिन्हें भी हम पेश कर चुके हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि राहुल गांधी ब्रिटेन के नागरिक हैं।"
सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दर्ज की है याचिका
राहुल की नागरिकता के संबंध में एक दूसरी याचिका भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की है। इसमें स्वामी ने दावा किया है कि राहुल गांधी ने एक ब्रिटिश कंपनी के लिए दाखिल किए गए सालाना रिटर्न में खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया है। चूंकि, इलाहाबाद और दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिकाएं लगभग एक समान है, इसलिए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विग्नेश से हलफनामा भी दायर करने को कहा था।
स्वामी किस आधार पर लगा रहे आरोप?
स्वामी का आरोप है कि 2003 में ब्रिटेन में पंजीकृत बैकऑप्स लिमिटेड नाम की एक कंपनी में राहुल एक निदेशक और सचिव थे। स्वामी का दावा है कि अक्टूबर 2005 और 2006 को कंपनी के वार्षिक रिटर्न में राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटिश बताई गई है। इसके अलावा फरवरी 2009 में कंपनी विघटन आवेदन में फिर से राहुल को ब्रिटिश नागरिक बताया गया। स्वामी ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 का उल्लंघन है।
क्या होती है दोहरी नागरिकता?
दोहरी या बहु नागरिकता का मतलब एक व्यक्ति के पास एक ही समय में 2 या इससे अधिक देशों के नागरिकता होना है। दोहरी नागरिकता वाले व्यक्ति को दोनों देश का पासपोर्ट रखने, अन्य नागरिकों के समान कानूनी और सामाजिक अधिकारों का लाभ लेने, दोनों देशों की राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने और वीजा छूट प्राप्त करने जैसी कई सुविधाएं मिलती हैं। इसे लेकर सभी देशों में अलग-अलग नियम हैं।
भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति है?
भारतीय संविधान के तहत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। इसका मतलब है कि एक भारतीय नागरिक एक साथ किसी दूसरे देश की नागरिकता नहीं रख सकता। अगर कोई भारतीय नागरिक अपनी इच्छा से अन्य देश की नागरिकता लेता है तो उससे भारतीय नागरिकता छीनी जा सकती है। 1967 के पासपोर्ट अधिनियम के अनुसार, भारतीय निवासी को दूसरे देश की नागरिकता लेने के बाद अपना पासपोर्ट निकटतम दूतावास में जमा करना होता है।
भारत में दोहरी नागरिकता का क्या कोई विकल्प है?
भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर 16 देशों के भारतीय मूल के व्यक्तियों को विदेशी भारतीय नागरिकता प्रदान करता है। इसके तहत पात्र लोगों को विदेशी भारतीय नागरिक कार्ड जारी किया जाता है। इस कार्डधारक को भारत का आजीवन वीजा, भारत में रहने के दौरान पुलिस अधिकारियों को रिपोर्ट न करने की छूट और कृषि या बागान संपत्ति को छोड़कर वित्तीय, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्रों में अनिवासी भारतीयों (NRI) जैसे अधिकार मिलते हैं।