छत्तीसगढ़: नक्सलियों ने कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह को रिहा किया
नक्सलियों ने कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास को रिहा कर दिया है। वह बीजापुर के तारेम स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कैंप पहुंच गए हैं और उनके मेडिकल चेकअप किए जा रहे हैं। 3 अप्रैल को सुरक्षा बलों पर हमले के बाद नक्सलियों ने उन्हें कब्जे में लिया था। खबरों के अनुसार, उनकी रिहाई में स्थानीय पत्रकारों ने अहम भूमिका निभाई है। मनहास की पत्नी मीनू ने अपने पति की रिहाई पर खुशी जताई है।
3 अप्रैल को नक्सली हमले के बाद लापता हो गए थे राकेश्वर
कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास 3 अप्रैल को तारेम के जंगलों में सुरक्षा बलों पर नक्सलियों के हमले में लापता हो गए थे। अगले दिन रविवार को नक्सलियों ने मनहास के उनके कब्जे में होने की बात कही थी और कहा था कि उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। बुधवार को नक्सलियों ने उनकी एक तस्वीर भी जारी की थी जिसमें वह एक झोपड़ी में चटाई पर बैठे हुए दिख रहे थे।
सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में मनहास को किया गया रिहा
आज नक्सलियों ने मनहास को सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में रिहा किया और इसका वीडियो भी जारी किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, मनहास को लेने के लिए दो प्रबुद्ध हस्तियों समेत राज्य सरकार की एक टीम गई थी। 91 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी और पद्मश्री धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया इस टीम में शामिल प्रबुद्ध व्यक्ति रहे। इसके अलावा सात पत्रकार और छत्तीसगढ़ सरकार के दो अधिकारी भी मनहास को लेने गई टीम का हिस्सा थे।
देखें राकेश्वर सिंह की रिहाई का वीडियो
हमेशा उम्मीद थी कि वो वापस आएंगे- मीनू
अपनी पति की रिहाई पर खुशी जताते हुए मीनू ने कहा, "बहुत हीं गंदे दिन थे वो। जिंदगी के सबसे गंदे दिन थे, बहुत मुश्किल से गुजारे मैंने। लेकिन फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी, धैर्य रखा... दिल में यही था कि वो वापस आएंगे। मुझे उसी दिन से उम्मीद थी जिस दिन मुझे जानकारी मिली की वो उनकी (नक्सलियों) की कस्टडी में हैं। उम्मीद थी कि वो वापस आएंगे, लेकिन ये पक्का नहीं था कि किस दिन आएंगे।"
सरकार पर भरोसा था- मीनू
सरकार पर भरोसे के सवाल पर मीनू ने कहा, "हां, सरकार पर भरोसा था। लेकिन सरकार अपनी तरफ से कुछ बोल ही नहीं रही थी, कोई बयान नहीं आ रहा था, उसकी वजह से हम परेशान थे। मैं भी समझती हूं कि कुछ सीक्रेट होंगे जो मीडिया या हमें वो नहीं बताना चाहते... मैें उनको भी थैंक्यू बोलती हूं।" उन्होंने आगे कहा, "जीवन में मेरा सबसे अधिक खुशी का दिन है।"
शनिवार को हुए हमले में शहीद हुए थे 22 जवान
शनिवार को खूंखार नक्सल कमांडर माडवी हिडमा के बीजापुर-सुकमा जिलों के बॉर्डर पर स्थित तारेम के जंगलों में छिपे होने की खुफिया सूचना मिलने के बाद CRPF समेत विभिन्न सुरक्षा बलों के लगभग 2,000 जवानों ने एक बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया था। हालांकि मौके पर पहुंचने पर उन्हें कुछ नहीं मिला और घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने उन पर तीन तरफ से हमला कर दिया। हमले में कुल 22 जवान शहीद हुए और लगभग 31 जवान घायल हुए।