CJI गवई का आरक्षण में क्रीमी लेयर पर अहम बयान, सरकार के पाले में डाली गेंद
क्या है खबर?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले यानी रविवार को आरक्षण में क्रीमी लेयर, कॉलिजियम पर आरोप, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अपने भविष्य को लेकर कई अहम जवाब दिए। उन्होंने कहा कि जाति आधारित आरक्षण में क्रीमी लेयर मुद्दे को सुलझाने में सुप्रीम कोर्ट ने अपना काम कर दिया है। अब यह सरकार और संसद पर निर्भर है। जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित CJI हैं और सोमवार को वह पद छोड़ देंगे।
भूमिका
उप-वर्गीकरण के फैसले में CJI गवई की रही अहम भूमिका
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आरक्षण लाभों के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में उप-वर्गीकरण को मंजूरी दे दी थी। जस्टिस गवई उस पीठ का हिस्सा थे। उन्होंने सच्ची समानता सुनिश्चित करने के लिए SC/ST समुदायों में क्रीमी लेयर की पहचान की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने फैसले में लिखा था, "राज्य को SC/ST वर्ग में क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति बनानी चाहिए। सच्ची समानता हासिल करने का यही एकमात्र तरीका है।"
जवाब
न्यायपालिका में भाई-भतीजावाद के आरोपों पर भी बोले CJI
CJI गवई ने कॉलेजियम प्रणाली से न्यायिक नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद और पक्षपात के आरोपों पर बात की। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले कुल नियुक्तियों के 10 प्रतिशत से भी कम हैं। उन्होंने कहा, "किसी उम्मीदवार की योग्यता को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि वह किसी न्यायाधीश का रिश्तेदार है।" कॉलेजियम प्रणाली की अस्पष्टता के लिए आलोचना की जाती रही है, लेकिन कार्यपालिका के हस्तक्षेप से न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए इसका बचाव किया जाता रहा है।
योजना
सेवानिवृत्ति के बाद क्या है CJI गवई की योजना?
अपनी सेवानिवृत्ति पर CJI गवई ने कहा कि वह आराम करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन बाद में सामाजिक कार्यों में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी पद स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, "मैं पूरी तरह से स्पष्ट हूं कि सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी पद स्वीकार नहीं करूंगा।" बता दें कि नए CJI जस्टिस सूर्यकांत सोमवार (24 नवंबर) को अपना पदभार ग्रहण करेंगे।