
उत्तर भारत को मिलेगा सिंधु नदी का पानी, इस बड़ी योजना पर काम कर रही सरकार
क्या है खबर?
पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता रद्द करने के बाद भारत अब सिंधु नदी के पानी को लेकर बड़ी तैयारी कर रहा है। खबर है कि केंद्र सरकार 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर भारत के कई राज्यों तक सिंधु नदी का पानी पहुंचाने के लिए बड़ी योजना बना रही है। 19 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह समेत वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक में इस परियोजना की प्रगति की समीक्षा की गई है।
योजना
क्या है भारत की योजना?
NDTV के मुताबिक, भारत नहर और सुरंग के जरिए सिंधु नदी के पानी को उत्तर भारतीय राज्यों तक लाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए ब्यास और सिंधु नदियों को जोड़ने वाली 14 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना पर काम शुरू हो गया है। इस परियोजना की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) बनाने का जिम्मा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एल एंड टी (L&T) को सौंपा गया है। इस परियोजना पर करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च आने की संभावना है।
सुरंग
113 किलोमीटर लंबी नहर भी बनाई जाएगी
योजना के तहत चिनाब नदी को रावी-ब्यास-सतलुज प्रणाली से जोड़ने के लिए 113 किलोमीटर लंबी नहरें भी बनाई जाएगी। इसका निर्माण अलग-अलग हिस्सों में होगा, ताकि जल्दी पूरा हो सके। इसका उद्देश्य इंदिरा गांधी नहर तक जल पहुंचाकर राजस्थान में सिंचाई क्षमता बढ़ाना है। इससे जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों को फायदा मिलेगा। इस नहर को इन राज्यों की मौजूदा नहर प्रणाली से जोड़ा जाएगा, ताकि ज्यादा लोगों को लाभ मिल सके।
चुनौतियां
14 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने में हैं कई चुनौतियां
ब्यास और सिंधु नदियों को जोड़ने के लिए 14 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की राह में कई चुनौतियां हैं। इसके लिए पहाड़ों की चट्टानों की जांच कराई जाएगी और अगर किसी हिस्से में चट्टानें कमजोर पाई जाती हैं, तो वहां पाइपलाइन बिछाकर सुरंग को सुरक्षित बनाया जाएगा। सुरंग निर्माण में टनल बोरिंग मशीन( TBM) और रॉक शील्ड तकनीक का उपयोग प्रस्तावित है, ताकि निर्माण तेज और सुरक्षित तरीके से हो सके।
समझौता
पहलगाम हमले के बाद भारत ने रद्द कर दी है सिंधु जल संधि
भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सख्त कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। भारत ने कहा था कि खून और पानी साथ नहीं बह सकता। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत को 4 पत्र लिखकर संधि पर चर्चा का अनुरोध किया था। पाकिस्तान भारत के फैसले को अवैध और एकतरफा बताते हुए विश्व बैंक भी गया था, लेकिन वहां से भी उसे झटका लगा था।
प्लस
क्या है सिंधु जल संधि?
विश्व बैंक की मध्यस्थता से 1960 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। इसके तहत सिंधु घाटी में बहने वाली 3 पूर्वी नदियों (रवि, सतलज, व्यास) पर भारत का, जबकि 3 पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर पाकिस्तान का अधिकार है। नदियां भारत से होकर बहती हैं, इसलिए पश्चिमी नदियों के 20 प्रतिशत पानी पर भारत का अधिकार है, वो सिंचाई समेत अन्य परियोजनाओं में इसका उपयोग करता है।