
जस्टिस आलोक अराधे और विपुल पंचोली की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति को केंद्र की मंजूरी
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने बुधवार को पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल मनुभाई पंचोली और बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। इन दो नियुक्तियों के साथ अब सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 34 हो गई है और अब वहां कोई पद खाली नहीं है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सरकार के इस फैसले की जानकारी दी है।
नियुक्ति
राष्ट्रपति ने की दोनों न्यायाधीशों की नियुक्ति
केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा, "राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई के परामर्श के बाद पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल मनुभाई पंचोली और बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया।" उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट 34 न्यायाधीशों की अपनी पूरी क्षमता से कार्य करेगा।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की थी सिफारिश
CJI गवई और जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ, जेके माहेश्वरी और नागरत्ना वाले पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने 25 अगस्त को बैठक में केंद्र को जस्टिस आलोक और पंचोली के नामों की सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति की सिफारिश की थी।
विरोध
जस्टिस नागरत्ना ने किया पंचोली की नियुक्ति का विरोध
इधर, सुप्रीम कोर्ट की एकमात्र महिला जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली की पदोन्नति का विरोध किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जस्टिस पंचोली की कम वरिष्ठता और गुजरात हाई कोर्ट से पटना हाई कोर्ट में उनके पूर्व स्थानांतरण से जुड़ी परिस्थितियों के बावजूद उनकी पदोन्नति न्यायपालिका के लिए प्रतिकूल होगी। उन्होंने कहा कि उनकी नियुक्ति को आगे बढ़ाने से कॉलेजियम प्रणाली की जो भी विश्वसनीयता बची है, वह खत्म हो सकती है।