संसद के मानसून सत्र में UCC पर विधेयक पेश कर सकती है मोदी सरकार- रिपोर्ट
क्या है खबर?
केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता (UCC) पर विधेयक पेश कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा UCC का समर्थन किये जाने के बाद से यह अटकल लगाई जा रही थी, जो अब सही साबित हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार जल्द UCC के मसौदे को संसदीय स्थायी समिति के पास भेज सकती है, जिसके बाद समिति मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों की राय लेगी और फिर इस पर विधेयक लाया जा सकता है।
बैठक
3 जुलाई को बुलाई गई है स्थायी समिति की बैठक
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, UCC को लेकर सांसदों की राय जानने के लिए आगामी 3 जुलाई को संसदीय स्थायी समिति की एक बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में विधि आयोग, कानूनी मामलों के मंत्रालय और विधायी विभाग के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
बताया जा रहा है कि UCC पर विधि आयोग के 14 जून के सार्वजनिक नोटिस पर लोगों की क्या राय आई है, यह जानने के लिए तीनों विभागों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है।
सत्र
17 जुलाई से शुरू हो सकता है मानसून सत्र
इस बार संसद का मानसून सत्र जुलाई के तीसरे सप्ताह यानी 17 जुलाई से शुरू हो सकता है और इसके 10 अगस्त तक चलने की संभावना है।
मानसून सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन में होगी, लेकिन बाद में सत्र की आगे की कार्यवाही नए संसद भवन में चलेगी।
28 मई प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया था और यह पहला मौका होगा जब नई संसद में किसी सत्र का आयोजन किया जाएगा।
UCC
प्रधानमंत्री ने UCC पर क्या कहा था?
27 जून को भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने UCC का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि एक परिवार में अलग-अलग सदस्यों के लिए अलग-अलग कानून नहीं होते हैं और ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा।
उन्होंने कहा कि UCC के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है, लेकिन संविधान में सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों की बात है।
विपक्षी पार्टियों ने मौजूदा परिस्थितियों में UCC का विरोध किया है।
क्या है
UCC क्या है?
UCC का मतलब है, देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वह उन्हीं के मुताबिक चलते हैं।
UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। यह महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।