ज्ञानवापी मस्जिद वाली जगह पर पहले था हिंदू मंदिर, ASI के सर्वे में खुलासा
क्या है खबर?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वैज्ञानिक सर्वे में सामने आया है कि ज्ञानवापी मस्जिद बनने से पहले उस जगह पर एक हिंदू मंदिर था।
ASI के अनुसार, मस्जिद बनाने के लिए खंभों समेत मंदिर के अन्य हिस्सों का इस्तेमाल किया गया और मस्जिद की पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का बचा हुआ हिस्सा है।
बता दें कि ASI ने लगभग एक महीने पहले अपने इस वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी जिला कोर्ट को सौंपी थी और इसे आज सार्वजनिक किया गया।
रिपोर्ट
सर्वे की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
लाइव लॉ के मुताबिक, ASI ने वैज्ञानिक सर्वे की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चबूतरे के पूर्वी भाग में तहखाने बनाते समय मंदिर के स्तंभों का पुन: उपयोग किया गया।
इसके अलावा दूसरे तहखाने में संवत 1669 (हिंदू वर्ष) लिखे हुए एक स्तंभ का इस्तेमाल किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में तहखाने में फेंकी गई मिट्टी के नीचे हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और नक्काशीदार वास्तुशिल्प भी पाए गए।
निष्कर्ष
सर्वे में मिले हिंदू मंदिर के 34 शिलालेख, देवताओं के नाम लिखे
ASI रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे के दौरान उसे कुल 34 शिलालेख मिले, जो वास्तव में एक हिंदू मंदिर के हैं और इन पर जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर देवताओं के नाम लिखे मिले।
ASI ने अपने सर्वे के निष्कर्ष में कहा कि वास्तुशिल्प अवशेषों, कलाकृतियों, शिलालेखों, कला और मूर्तियों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना (मस्जिद) के निर्माण से पहले यहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था।
विवाद
ज्ञानवापी विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ?
अगस्त, 2021 में 5 महिलाओं ने याचिका दायर कर मस्जिद के पास श्रृंगार गौरी मंदिर में दर्शन-पूजा की मांग की थी।
इसके बाद कोर्ट के आदेश पर परिसर का वीडियो सर्वे हुआ था, जिसमें शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था।
इसके बाद वुजूखाने को सील कर दिया गया था और कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे किया गया था। अभी इसी सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है।
इतिहास
सदियों पुराना है विवाद
ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित विवाद सदियों पुराना है।
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद को मुगल बादशाह औरंगजेब के निर्देश पर बनाया गया था और इसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़ा गया था। उनका कहना है कि मस्जिद मंदिर की जमीन पर बनी हुई है।
दूसरी तरफ मस्जिद समिति का कहना है कि मंदिर का मस्जिद से कोई संबंध नहीं है और ये अलग जमीन पर बनी है।