हादसे के बाद दोनों बेस कैंप से पूर्ण रूप से बहाल हुई अमरनाथ यात्रा
बादल फटने के कारण हुए हादसे की वजह से रोकी गई अमरनाथ यात्रा फिर से बहाल हो गई है। चार दिन निलंबित रहने के बाद मंगलवार को गांदरबल जिले के बालटाल रूट से यात्रा को शुरू कर दिया गया है। वहीं पहलगाम के चंदनवारी रूट से यात्रा को आंशिक तौर पर सोमवार को बहाल कर दिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि कई जगहों पर रास्तों की मरम्मत और राहत अभियान का बचा हुआ काम जारी है।
बादल फटने से आया था सैलाब
बीते शुक्रवार को पवित्र अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से सैलाब आ गया था। अचानक से आई बाढ़ में यात्रा कर रहे कई यात्री और उनके टैंट बह गए। इसके तुरंत बाद सुरक्षा बलों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों की टीमों ने राहत और बचाव अभियान शुरू किया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। इस हादसे में कुल 16 लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इसके बाद व्यवस्थाओं को लेकर कई सवाल उठे थे।
मंगलवार को यात्रा के लिए निकला श्रद्धालुओं का जत्था
अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार सुबह श्रद्धालुओं के एक जत्थे ने बालटाल बेस कैंप से अपनी यात्रा शुरू की है। इसके अलावा कड़ी सुरक्षा के बीच जम्मू के पास बने भगवती नगर बेस कैंप से भी 7,000 से अधिक श्रद्धालुओं का जत्था पवित्र गुफा के दर्शन के लिए निकला था। यहां से ये श्रद्धालु बालटाल और पहलगाम में बने बेस कैंप तक पहुंचेगे और फिर वहां से आगे की यात्रा शुरू करेंगे।
जारी है मलबा हटाने का काम
बादल फटने के बाद आई बाढ़ के चलते यात्रा के रास्ते में कई जगह मलबा इकट्ठा हो गया है। इसे हटाने का काम अब भी जारी है। सुरक्षाबलों समेत कई एजेंसियां इस काम को अंजाम देने में जुटी हैं। अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ के कारण कई रास्तों के संकेत बोर्ड बह गए थे। कुछ स्थानों पर इन्हें फिर से लगा दिया गया है और दोनों ही रास्तों की मरम्मत का काम जारी है।
30 जून से शुरू हुई थी यात्रा
कोरोना वायरस महामारी के कारण दो साल स्थगित होने वाली अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हुई थी। 43 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा का समापन 11 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन होगा। हादसे से पहले के नौ दिनों में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन कर लिए थे। हालांकि, हादसे के बाद चार दिनों तक यात्रा को निलंबित रखा गया और अब यह फिर से बहाल की गई है।
व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
शुक्रवार को अमरनाथ गुफा के पास स्थित जिस जगह पर बादल फटने के कारण बाढ़ आई थी, वहां पिछले साल भी कुछ ऐसी ही घटना हुई थी। पिछले साल यात्रा बंद होने के कारण इस बाढ़ से किसी को नुकसान तो नहीं हुआ था, लेकिन लापरवाही बरतते हुए इस साल उसी समय पर श्रद्धालुओं के टेंट लगा दिए गए। अगर ये लापरवाही नहीं बरती जाती तो 16 लोगों की जान बच सकती थी।