
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रेप के आरोपी को जमानत दी, कहा- पीड़िता ने खुद मुसीबत बुलाई
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद हाई कोर्ट एक बार फिर अपने फैसले को लेकर चर्चा में है। पिछले दिनों स्तन पकड़ना या पायजामे की डोरी तोड़ना रेप नहीं बताने के बाद अब रेप पीड़िता को गलत ठहराया गया है।
इस बार कोर्ट ने एक रेप आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी कि पीड़िता ने "मुसीबत को खुद आमंत्रित किया था और वह इसके लिए स्वयं जिम्मेदार भी है।"
यह फैसला न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने सुनाया है।
फैसला
क्या है मामला?
प्राथमिकी पिछले साल सितंबर में दर्ज कराई गई है। इसमें लिखा है कि पीड़ित स्नातकोत्तर की छात्रा है और दिल्ली में पेइंग गेस्ट (PG) में रहती है।
पिछले साल 21 सितंबर को अपने दोस्त के साथ हौज खास के एक रेस्तरां गई थी और सुबह 3 बजे तक काफी शराब पीने के कारण नशे में हो गई थी।
जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि पीड़िता खुद आराम करने के लिए आवेदक के घर गई।
फैसला
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट के आदेश में कहा गया कि पीड़िता ने आरोप लगाया है कि आवेदन उसे अपने घर के बजाय रिश्तेदार के कमरे पर ले गया और उसके साथ 2 बार रेप किया, जो झूठ है और रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य के खिलाफ है।
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बताए तथ्यों पर विचार करते हुए और पेश तथ्यों के आधार पर यह रेप का मामला नहीं है बल्कि संबंधित पक्षों के बीच सहमति से संबंध का मामला हो सकता है।
आदेश
पीड़िता अपने कृत्य की नैतिकता और महत्व को समझती है- कोर्ट
न्यायाधीश ने कहा कि मामले को सुनने और समग्रता से जांच करने के बाद पाया कि इसमें कोई विवाद नहीं और पीड़िता और आवेदक दोनों बालिग हैं।
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता स्नातकोत्तर छात्रा है, लिहाजा अपने कृत्य की नैतिकता और महत्व को समझती थी, जैसा उसने FIR में बताया है।
कोर्ट का मानना है कि अगर पीड़िता के आरोपों को भी सच मानें तो निष्कर्ष निकलता है कि उसने खुद परेशानी को बुलाया और वह इसके लिए जिम्मेदार है।
जानकारी
कोर्ट ने आरोपी को दी जमानत
न्यायमूर्ति ने बताया कि आरोपी 11 दिसंबर से जेल में है और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उसके वकील ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि उसके भागने, सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना नहीं और जमानत का दुरुपयोग नहीं होगा। वह जांच में सहयोग करेगा।
घटना
पहले बेतुकी टिप्पणी वाले आदेश को सुप्रीम कोर्ट जता चुका है नाराजगी
17 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने रेप मामले में एक फैसला दिया था, जिसकी टिप्पणियों से बड़ा विवाद हुआ था।
न्यायाधीश ने फैसले में कहा था कि आरोपी पवन और आकाश ने पीड़िता के स्तनों को पकड़ने और पायजामे की डोरी तोड़कर उसे उतारने की कोशिश की, जो रेप की कोशिश का दावा नहीं करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इसकी कड़ी आलोचना कर कहा था कि फैसले में "संवेदनशीलता की कमी" झलकती है।