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महाराष्ट्र: उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे 1,800 करोड़ के जमीन घोटाले में घिरे, क्या है मामला?
अजित पवार के बेटे पार्थ पर पुणे में जमीन घोटाले का आरोप लगा है

महाराष्ट्र: उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे 1,800 करोड़ के जमीन घोटाले में घिरे, क्या है मामला?

लेखन आबिद खान
Nov 07, 2025
11:50 am

क्या है खबर?

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार 1,800 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले में घिर गए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस कथित घोटाले की जांच के आदेश भी दिए हैं। आरोप है कि पार्थ की एक कंपनी ने 1,800 करोड़ रुपये की संपत्ति के बदले 300 करोड़ रुपये के भूमि सौदे को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। ये घोटाला स्टांप ड्यूटी की चोरी और हेराफेरी से जुड़ा हुआ है। आइए समझते हैं ये कथित घोटाला क्या है।

मामला

क्या है मामला?

ये पूरा मामला पार्थ की कंपनी अमेडिया होल्डिंग्स LLP से जुड़ा हुआ है। इस कंपनी ने पुणे के पॉश कोरेगांव पार्क इलाके में लगभग 40 एकड़ सरकारी जमीन खरीदी है। इस जमीन की बाजार कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये बताई जा रही है, लेकिन आरोप है कि पार्थ ने यह जमीन केवल 300 करोड़ रुपये में खरीद ली। इस सौदे में कई नियमों की अनदेखी की गई और हेराफेरी हुई।

आरोप

पार्थ पर क्या आरोप हैं?

पार्थ की कंपनी ने दावा किया था कि वह इस जमीन पर डेटा सेंटर बनाएगी, लेकिन कंपनी की पूंजी मात्र 1 लाख रुपये थी। इस खरीद को लेकर केवल 500 रुपये का स्टांप ड्यूटी शुल्क भरा गया, जबकि 300 करोड़ रुपये के बदले करोड़ों का स्टांप ड्यूटी शुल्क देना जरूरी था। आरोप है कि पूरा लेनदेन केवल 27 दिनों में पूरा कर लिया गया। उद्योग निदेशालय ने 48 घंटे के भीतर ही स्टांप ड्यूटी माफ कर दी।

FIR

3 लोगों पर दर्ज हुई FIR

इस मामले में पुणे पुलिस ने 3 लोगों पर FIR दर्ज की है। इनमें शीतल तेजवानी, दिग्विजय पाटिल और रविंद्र तारू के नाम हैं। शीतल के पास पार्थ की पॉवर ऑफ अटॉर्नी है। दिग्विजय पार्थ की कंपनी में पार्टनर हैं और रविंद्र रजिस्ट्रार हैं। FIR में पार्थ का नाम शामिल नहीं हैं, लेकिन उनकी कंपनियों से जुड़े लोगों के नाम हैं। वहीं, मुख्यमंत्री ने तहसीलदार और एक सब-रजिस्‍ट्रार को सरकारी सेवा से निलंबित कर दिया है।

पार्थ का पक्ष

मामले पर पार्थ का क्या कहना है?

मामले पर पार्थ और अजित ने चुप्पी साध ली है। बीते दिन मुंबई में एक कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री अजित से जब पत्रकारों ने इस संबंध में सवाल पूछा तो वह बिना कोई जवाब दिए मीडिया को साइड में हटाते हुए निकल गए। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के मुख्य प्रवक्ता आनंद परांजपे ने भी इस संबंध में मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।

विपक्ष

विपक्ष सरकार पर हमलावर

कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, "यह सौदा कानून का उल्लंघन कर किया गया है। जमीन की खरीद की पारदर्शी तरीके से जांच होनी चाहिए। सौदे से जुड़ी फाइल सरकारी विभागों में 'रॉकेट की गति' से आगे बढ़ी और कुछ ही घंटों में उद्योग निदेशालय ने न केवल कंपनी को जमीन हस्तांतरण की मंजूरी दे दी, बल्कि 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दिया।" शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी सरकार को घेरा है।