#NewsBytesExplainer: पश्चिम बंगाल में एडिनोवायरस से कई बच्चों की मौत, जानें इसके बारे में अहम बातें
क्या है खबर?
देश में कोरोना वायरस के बाद एक और वायरस ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। इसका नाम एडिनोवायरस है, जिसने इन दिनों पश्चिम बंगाल में कहर बरपा रखा है। इस वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा छोटे बच्चे आ रहे हैं।
एडिनोवायरस की चपेट में आने से पश्चिम बंगाल में पिछले 9 दिनों में 36 बच्चों की मौत हो चुकी है।
आइये एडिनोवायरस और इससे जुड़ी अहम बातों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
एडिनोवायरस
क्या है एडिनोवायरस?
एडिनोवायरस वायरसों की एक ऐसी फैमिली है, जिससे संक्रमित होने पर आमतौर सर्दी, जुकाम या बुखार जैसे ही लक्षण दिखाई देते हैं। एडिनोवायरस श्वसन प्रणाली पर हमला करता है।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के मुताबिक, एडिनोवायरस संक्रमण पूरे साल फैलता है, लेकिन बदलते मौसम में इसके संक्रमण की दर अपने चरम पर होती है।
किसी भी उम्र का व्यक्ति एडिनोवायरस की चपेट में आ सकता है। इससे संक्रमित होने पर सामान्य से गंभीर तक लक्षण दिखाई देते हैं।
एडिनोवायरस
किसे होता है एडिनोवायरस संक्रमण का सबसे अधिक खतरा?
चिकित्सकों का मानना है कि एडिनोवायरस से संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों को होता है। इसकी चपेट में 5 साल से कम उम्र के बच्चे जल्दी आते हैं।
एडिनोवायरस बच्चों से बच्चों में जल्दी फैलता है और बाल देखभाल केंद्र में इसका खतरा सबसे अधिक होता है।
छोटे बच्चों में नियमित रूप से हाथ धोने की आदत नहीं होती है और वे अक्सर हाथों को मुंह में डालते हैं, जिससे ये वायरस तेजी से फैलता है।
लक्षण
एडिनोवायरस से संक्रमित होने के क्या हैं लक्षण?
CDC के अनुसार, एडिनोवायरस से संक्रमित होने पर सामान्य सर्दी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं और गले में खराश और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं होती हैं।
इसके अलावा निमोनिया, आंखों में जलन, डायरिया, उल्टी और पेट दर्द जैसी शिकायतें भी होती हैं।
एडिनोवायरस संक्रमण के कम सामान्य लक्षणों में मूत्राशय की सूजन के अलावा मस्तिष्क और पीठ की नसों में खिंचाव भी शामिल हैं।
ये लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
संक्रमण
कैसे फैलता है एडिनोवायरस?
यह एक वायरल संक्रमण है, इसलिए किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से इसका संक्रमण फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से यह हवा के जरिये भी फैलता है।
एडिनोवायरस अगर किसी सतह पर मौजूद है तो इसे छूने या संपर्क में आने से आप वायरस की चपेट में आ सकते हैं।
इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के साथ बैठने, साथ खाना खाने या एक ही टॉयलेट इस्तेमाल करने से भी इसका संक्रमण फैल सकता है।
बचाव
कैसे हो सकता है बचाव?
चिकित्सकों के मुताबिक, एडिनोवायरस संक्रमण से कुछ बुनियादी सावधानियां बरतकर बचा जा सकता है। अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकेंड तक बार-बार धोएं और बिना हाथों को धोए अपनी आंख, नाक या मुंह को न छुएं।
घर में किसी को बुखार, सर्दी और खांसी होने पर उनसे दूरी बनाए रखें। खांसते या छींकते समय मुंह को रूमाल से ढकें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
जानकारी
क्या एडिनोवायरस संक्रमण का कोई इलाज है?
CDC का कहना है कि एडिनोवायरस से संक्रमण के लिए कोई खास दवा या इलाज मौजूद नहीं हैं। एडिनोवायरस संक्रमण के अधिकांश मामलों में लक्षण बहुत हल्के होते हैं और यह सर्दी, जुकाम या बुखार में दी जाने वाली दवा से ठीक हो जाता है।
हेल्पलाइन
पश्चिम बंगाल सरकार क्या कर रही है?
पश्चिम बंगाल सरकार ने 36 बच्चों की मौत के बाद अपना बयान जारी किया है। सरकार का कहना है कि पिछले एक महीने में एडिनोवायरस के 5,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं और केवल 2 बच्चों की मौत इस संक्रमण के कारण हुई है।
बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की एक आपात बैठक बुलाई थी। इसके बाद सरकार ने एक इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर 1800-313444-222 भी जारी किया है।
वैक्सीन
न्यूजबाइट्स प्लस
कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने के लिए एडिनोवायरस का इस्तेमाल किया गया है। भारत के सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और अमेरिका की जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी की कोविड वैक्सीन बनाने के लिए एडिनोवायरस के वेक्टर फ्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया है।
इस वेक्टर फ्लेटफॉर्म पर कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन लगाकर वैक्सीन बनाई गई हैं। ये वैक्सीनें शरीर के भीतर जाकर कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती हैं। दोनों ही वैक्सीनें सफल साबित हुई हैं।