उत्तराखंड बाढ़: मरने वालों की संख्या 70 पहुंची, लापता लोगों को किया जाएगा मृत घोषित
उत्तराखंड के चमोली जिले में आई बाढ़ से मरने वालों की संख्या 70 पहुंच गई है। पुलिस ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि राहत और बचाव अभियान में जुटे दलों को अभी तक 70 लाशें मिल चुकी हैं और तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना की जगह से 29 शरीर के अंग मिले हैं। पुलिस ने बताया कि अभी भी तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने और लापता लोगों की तलाश का काम जारी है।
ग्लेशियर टूटने से आई थी बाढ़
7 फरवरी को चमोली जिले के जोशीमठ के तपोवन में नंदा देवी ग्लेशियर का एक टुकड़ा टूट गया जिससे अलकनंदा और धौली गंगा नदियों में बाढ़ आ गई। समस्या तब और बढ़ गई जब बाढ़ के कारण तपोवन में अलकनंदा नदी पर बना ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का एक बांध टूट गया। बाढ़ से तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना को भी नुकसान पहुंचा और इससे संबंधित एक निर्माणाधीन सुरंग में लगभग 35 लोग फंस गए।
कुल 206 लोग हुए थे लापता
बता दें कि आपदा में 206 लोग लापता हुए थे। इनमें से कुछ सुरंग में फंसे हुए हैं। न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को सुरंग में दो और शव निकाले गए। सोमवार को भी यहां राहत और बचाव का काम जारी रहा। प्रशासन ने अब NTPC को राहत कार्यों के लिए अतिरिक्त मशीनें उपलब्ध कराने और धौली गंगा नदी का बहाव दूसरी तरफ करने को कहा है ताकि इसका पानी बचाव अभियान में बाधा न पहुंचा सके।
लगभग 30 शवों की पहचान होना बाकी
जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने कहा कि बैरेज से सुरंग की तरफ आ रहा पानी बचाव अभियान में मुश्किलें खड़ी कर रहा है। यह सुरंग से मलबा और कीचड़ निकालने में चुनौतियां पैदा कर रहा है। बताया जा रहा है कि अभी तक मिले सभी शवों की पहचान नहीं हो पाई है। लगभग 30 शव ऐसे हैं, जिनकी पहचान होना अभी बाकी है। इनकी पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं।
लापता 136 लोगों को किया जाएगा मृत घोषित- रिपोर्ट
NDTV ने अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि अभी तक लापता 136 लोगों को मृत घोषित किया जाएगा। लापता लोगों के परिवारों को DNA सैंपल के लिए बुलाया गया है।
केंद्रीय गृह सचिव ने की राहत कार्यों की समीक्षा
दूसरी तरफ केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सोमवार को धौली गंगा नदी के ऊपरी हिस्से में बनी झील की स्थिति की समीक्षा की। भल्ला ने इस झील से पानी के बहाव को बढ़ाने और उसके रास्ते में आ रही बाधाओं को हटाने के कार्यों का जायजा लिया। बैठक में उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने बताया कि जांच से पता चला है कि इस झील के कारण बड़ा खतरा नहीं है और इसमें पानी का स्तर उम्मीद से कम है।
केंद्र का राज्य को हरसंभव मदद का आश्वासन
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में मुख्य सचिव ने बताया कि झील का पानी प्राकृतिक रास्ते से नीचे बह रहा है, जिसे चौड़ा किया गया है। बैठक के बाद बयान में कहा गया कि केंद्र ने राज्य को पूरी सहायता का आश्वासन दिया है।