LOADING...
#NewsBytesExclusive: आयुर्वेदिक उपचार कितना प्रभावी है? विशेषज्ञ से समझें
डॉक्टर अमरनाथ पांडे (धन्वंतरि आयुर्वेद मस्टीस्पेशलिटी क्लीनिक)

#NewsBytesExclusive: आयुर्वेदिक उपचार कितना प्रभावी है? विशेषज्ञ से समझें

लेखन अंजली
Nov 19, 2025
10:14 am

क्या है खबर?

आज के दौर में भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद तेजी से बढ़ रही है। देश-विदेश में लाखों लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन इसे लेकर बहुत सारे भ्रम और सवाल भी हैं। कई लोगों को लगता है कि आयुर्वेद में हर चीज का इलाज है तो कुछ लोग इसे एक अवैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली बताते हैं। न्यूजबाइट्स हिंदी ने इस संबंध में आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर अमरनाथ पांडे से विशेष बातचीत की, जिन्होंने कई भ्रमों से पर्दा उठा दिया।

विज्ञान

क्या आयुर्वेद एक अवैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली है? 

डॉक्टर अमरनाथ ने बताया कि आयुर्वेद विज्ञान से पहले का विज्ञान है, जिसका आधार त्रिदोष सिद्धांत (वात, पित्त और कफ) हैं। ये दोष हर शारीरिक क्रिया को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने कहा, "आज आधुनिक विज्ञान इन्हें न्यूरो-एंडोक्राइन-इम्यून सिस्टम के रूप में पहचानता है, यानी आयुर्वेद ने जो बात हजारों साल पहले की, उन्हें आधुनिक विज्ञान अब नए शब्दों में स्वीकार कर रहा है।" उन्होंने आगे कहा, "आयुर्वेद का अर्थ ही है 'आयु का वेद' यानी जीवन को जानने का विज्ञान।"

एलोपैथी

क्या आयुर्वेदिक एलोपैथी दवाओं से ज्यादा प्रभावी है या यह सिर्फ एक भ्रम है? 

डॉक्टर अमरनाथ ने बताया कि एलोपैथी और आयुर्वेद दो अलग तरह की चिकित्सा विधि हैं। एलोपैथी दवाओं का इस्तेमाल बीमारी को तुरंत नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है, जबकि आयुर्वेद दवा का इस्तेमाल बीमारी के मूल कारण के लिए होता है। डॉक्टर अमरनाथ ने यह भी कहा कि एलोपैथी में लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है, जबकि आयुर्वेद शरीर के अंदर की क्षमता (सेल्फ-हीलिंक पॉवर) का इस्तेमाल करके जड़ से इलाज करता है।

जानकारी

एक-दूसरे के पूरक हैं आयुर्वेद और ऐलोपैथी- डॉ अमरनाथ 

डॉ अमरनाथ के मुताबिक, ऐलोपैथी और आयुर्वेद एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं, जैसा कि आमतौर पर लोग सोचते हैं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा भी इंटीग्रेडेट हीलिंग की तरफ बढ़ रही है, जिसमें इन दोनों का इस्तेमाल होता है।

दुष्प्रभाव

क्या आयुर्वेदिक दवाओं के दुष्प्रभाव नहीं होते?

डॉक्टर अमरनाथ ने कहा, "अगर रोगी के हिसाब से सही दवा और सही मात्रा में दी जाए तो आयुर्वेदिक दवाओं के दुष्प्रभाव नहीं होते क्योंकि इन्हें शरीर के प्राकृतिक तत्वों के हिसाब से तैयार किया जाता है, लेकिन अगर इन दवाओं को बनाने में अशुद्ध सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया हो या इनका गलत इस्तेमाल किया जाए तो ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। शुद्ध औषधि अमृत होती है और अशुद्ध औषधि जहर के समान होती है।"

समय

क्या आयुर्वेदिक दवाओं को असर करने में ज्यादा समय लगता है?

डॉक्टर अमरनाथ ने कहा कि यह एक बड़ा भ्रम है कि आयुर्वेद धीमा है क्योंकि कई रोगों में आयुर्वेदिक दवाएं भी जल्दी असर दिखाती हैं, बस व्यक्ति के खान-पान और बाकि चीजों का ध्यान रखना होता है। उन्होंने कहा, "आयुर्वेद का उद्देश्य शरीर के अंदर संतुलन बनाना होता है, जैसे अगर पौधे की जड़ें सूख गई हों तो जड़ में पानी डालने से ही स्थायी समाधान होता है। आयुर्वेद यही करता है, जड़ पर काम करता है।"

एक्सपायर

क्या आयुर्वेदिक दवाएं एक्सपायर नहीं होती? 

डॉक्टर अमरनाथ ने बताया कि ये भी एक भ्रम है कि आयुर्वेदिक दवाएं एक्सपायर नहीं होती हैं और उन्हीं कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है। डॉक्टर अमरनाथ ने कहा, "आयुर्वेदिक ग्रंथों में साफ लिखा हुआ है कि हर तरह की आयुर्वेदिक दवाएं सीमित समय तक ही प्रभावी रहती हैं और इसी कारण आज के दिन हर आयुर्वेदिक प्रोडक्ट पर निर्माण और एक्सपायरी डेट लिखना अनिवार्य है ताकि पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।"

इलाज

क्या आयुर्वेद में केवल दवाओं से ही इलाज होता है या अन्य तकनीकें भी हैं?

डॉक्टर अमरनाथ के अनुसार, आयुर्वेद केवल औषधि विज्ञान नहीं हैं, बल्कि जीवन विज्ञान है, जो शरीर, मन और आत्मा, तीनों के संतुलन को स्वास्थ्य मानता है। उन्होंने कहा, "आयुर्वेद कहता है कि बीमारी विचार, भोजन और व्यवहार से भी उत्पन्न हो सकती है इसलिए इलाज में इनका भी ध्यान रखा जाता है। इसी कारण आयुर्वेदिक चिकित्सा में पंचकर्मा, रसायन चिकित्सा, आहार-विहार, योग, ध्यान और प्राणायाम आदि भी आते हैं, जिनमें शरीर, मन और आत्मा पर ध्यान दिया जाता है।"

परिस्थितियां

क्या आपातकालीन स्थिति में आयुर्वेद काम आ सकता है?

डॉक्टर अमरनाथ ने बताया कि आयुर्वेद हर परिस्थिति के लिए नहीं है और दिल का दौरा, स्ट्रोक, दुर्घटना, ब्लीडिंग या सांस रुकने जैसी आपातकालीन स्थितियों में पहले एलोपैथिक चिकित्सा दी जानी चाहिए। इन मामलों में आधुनिक चिकित्सा आयुर्वेद से बेहतर है। डॉक्टर अमरनाथ ने आगे कहा कि बाद की रिकवरी में आयुर्वेद का इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, कीमोथेरेपी के बाद रोगी को शक्ति, भूख और मनोबल लौटाने में आयुर्वेद अहम भूमिका अदा कर सकता है।

ध्यान रखने योग्य बातें

आयुर्वेद का इस्तेमाल करने वालों को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 

डॉक्टर अमरनाथ ने कहा कि एक अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही दवाएं लें। इसके अतिरिक्त आहार और व्यवहार में अनुशासन का पालन करें क्योंकि आधा इलाज इन्हीं चीजों से होता है। उन्होंने आगे कहा, "आयुर्वेदिक दवा खरीते समय उसकी एक्सपायरी डेट देखें और अगर कोई टेस्ट कराया है तो उसे छिपाएं नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक डॉक्टर को बताएं।" डॉक्टर अमरनाथ ने कहा कि धैर्य बनाकर रखें और डॉक्टर ने जो भी उपचार बताया है, रोजाना उसका पालन करें।

अनुभव

डॉक्टर अमरनाथ को है 13 साल से ज्यादा का अनुभव

डॉक्टर अमरनाथ पांडे दिल्ली के धन्वंतरि आयुर्वेद मस्टीस्पेशलिटी क्लीनिक के निदेशक हैं। उन्होंने आयुर्वेद पंचकर्म में MD की हुई है और चिकित्सा के क्षेत्र में कुल 13 साल से ज्यादा का अनुभव है। डॉक्टर अमरनाथ ने कहा कि आयुर्वेद भारत की धरोहर है, लेकिन आज ये विश्व की आवश्यकता बन रहा है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हमें सिखाता है कि शरीर तभी स्वस्थ रहेगा, जब मन, भोजन, विचार और दिनचर्या संतुलित होंगे।