इस गुजराती फिल्म के हिंदी रीमेक में काम करना चाहते थे ऋषि कपूर
क्या है खबर?
गुजराती फिल्म 'चाल जीवी लाइए' फिर चर्चा में है। अब इस फिल्म का हिंदी रीमेक बनने जा रहा है।
फिल्म के निर्माता रश्मिन मजीठिया ने हाल ही में इस पर बात करते हुए यह खुलासा किया कि वह इस फिल्म का हिंदी रीमेक दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर के साथ बनाना चाहते थे। खुद ऋषि भी इसे लेकर बेहद उत्साहित थे, लेकिन फिर वह इस दुनिया से रुख्सत हो गए।
आइए जानते हैं पूरी खबर।
बयान
ऋषि ने कहा था- मेरी तबीयत ठीक होने दें
रश्मिन ने बताया की उन्होंने 'चाल जीवी लाइए' के हिंदी रीमेक के लिए ऋषि से बातचीत की थी।
उन्होंने कहा, "फिल्म की कहानी सुनते ही वह इसका हिस्सा बनने के लिए राजी थे। उन्होंने कहा था कि हम इस पर काम करेंगे, बस आप एक बार मेरी सेहत ठीक होने दें।"
निर्माता ने बताया, "ऋषि साहब ने फिल्म में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन दुर्भाग्यवश हमने उन्हें खो दिया। अब हम यह फिल्म किसी दूसरे कलाकार के साथ बनाने वाले हैं।"
ख्वाहिश
बेटे रणबीर के साथ यह फिल्म करना चाहते थे ऋषि
खबर तो यह भी है कि ऋषि यह फिल्म अपने बेटे रणबीर कपूर के साथ करना चाहते थे। हालांकि, फिर कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लग गया और उसके बाद ऋषि कपूर गुजर गए।
फिल्म को लेकर रणबीर से कोई बात नहीं हुई थी, लेकिन ऋषि अपने बेटे के साथ इसका हिस्सा बनने के लिए उत्साहित थे।
बता दें कि ऋषि ने रणबीर के साथ फिल्म 'बेशरम' में काम किया था। हालांकि, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी।
कहानी
कैसी थी फिल्म 'चाल जीवी लाइए' की कहानी?
2019 में आई इस कॉमेडी ड्रामा फिल्म की कहानी बाप-बेटे के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में दिखाया जाता है कि बेटा अपने काम में काफी व्यस्त रहता है और पिता को समय नहीं दे पाता, लेकिन अपने पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए बेटा अपना काम छोड़ उन्हें वेकेशन पर लेकर जाता है।
इस फिल्म ने गुजराती सिनेमा में बढ़िया प्रदर्शन किया था। फिल्म की इसी थीम से प्रभावित होकर ऋषि इसका हिस्सा बनना चाहते थे।
दुखद
बीते साल 30 अप्रैल को दुनिया को अलविदा कह गए थे ऋषि
ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल, 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनका निधन किसी सदमे से कम नहीं था। दो साल तक ऋषि कैंसर से लड़ते रहे।
न्यूयॉर्क में इलाज कराने के बाद उनकी सेहत में सुधार था। वह वापस मुंबई लौट आए थे। अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां अगले दिन उनका निधन हो गया।
लॉकडाउन के कारण उनके अंतिम संस्कार में कम लोग शरीक हुए थे।