लोकसभा में भी पास हुआ सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक, पायरेसी पर लगेगी लगाम
क्या है खबर?
फिल्मों की पायरेसी पर रोक लगाने के लिए और लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाने वाला सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक गुरुवार को राज्यसभा से पारित हुआ था और अब यह लोकसभा से भी पास हो गया है।
इससे बाद अब पायरेसी करने वालों की खैर नहीं होगी। जो पायरेसी करते पकड़ा जाएगा, उसे 3 साल की जेल की सजा होने के साथ-साथ अच्छा-खासा जुर्माना भी भरना होगा।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस पर क्या बोला, आइए जानते हैं।
बयान
अनुराग ने पायरेसी को 'कैंसर' के समान बताया
राज्यसभा के बाद अब लोकसभा में भी सिनेमैटोग्राफ संशोधन बिल पास हो गया। यह बिल (विधेयक) सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 में संशोधन की मांग करता है। विपक्षी दलों के हंगामे के बीच लोकसभा में बिल वॉयस वोट के जरिए पास किया गया है।
इस पर अनुराग ठाकुर ने कहा, "पायरेसी के एक कैंसर के समान है। हम इसे जड़ से मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस बिल के जरिए पायरेसी रोकने का काम करेगी।"
जुर्मान
बजट के आधार पर लगेगा जुर्माना
अब सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में फिल्मों के बजट के आधार पर जुर्माना लगाया जाएगा। अगर किसी फिल्म की लागत 100 करोड़ रुपये है तो उस फिल्म की पायरेसी करते पाए जाने पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
इस बिल में UA 7+, UA 13+ और UA 16+ जैसी नई श्रेणियों को शामिल किया गया है। अब फिल्मों को UA सर्टिफिकेशन के तहत 7 साल, 13 साल और 16 साल के दर्शक वर्ग के लिए अलग-अलग प्रमाणित किया जाएगा।
सजा
अब पायरेसी पर होगा सख्त सजा का प्रावधान
सिनेमैटोग्राफ विधेयक 1952 में संशोधन कर इस बिल को नया रूप दिया गया है। 20 जुलाई को यह बिल राज्यसभा में पेश किया गया था।
इसमें हुए संशोधन के बाद किसी भी तरह की पायरेसी पर सख्त सजा का प्रावधान होगा।
कोई भी अगर किसी फिल्म को गैरकानूनी तरीके से शूट करता है और सार्वजनिक तौर पर उसे अपलोड करता है या फिर किसी को दिखाता है तो उसे अपराध माना जाएगा।
बिना लाइसेंस फिल्मों को दिखाना भी मुश्किल होगा।
मकसद
नुकसान से बचने के लिए लाया गया बिल
पायरेसी का मतलब होता है गीत, संगीत या फिल्मों की अवैध कॉपियां बनाना और उन्हें मुफ्त में लोगों तक मुहैया कराना। इसका सीधा सा मतलब चोरी करना है।
पायरेसी दुनियाभर में निर्माताओं के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। अच्छा कंटेंट बनाने में बहुत बड़ी टीम लगती है।
दुर्भाग्य से पायरेसी के चलते उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है। फिल्म इंडस्ट्री को इससे करोड़ों का नुकसान होता है।
इसी को रोकने के लिए सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक लाया गया है।
शुरुआत
कब हुई थी पायरेसी की शुरुआत?
पायरेसी की शुरुआत 1980 के दशक में हुई, जब देश में वीडियो कैसेट रिकॉर्डर (VCR) आया। तब फिल्में देखने का एकमात्र जरिया सिनेमाघर थे।
फिल्में रिलीज होते ही लोग सिनेमाघर पहुंचते थे, लेकिन फिर VCR की मदद से सिनेमाघरों में आईं फिल्मों की कॉपी बेची जाने लगी।
खर्च और टिकट की लंबी लाइनों से बचने के लिए लोग घर पर बैठकर फिल्में देखने लगे। इसके बाद आई CD/DVD की वजह से इसको और बढ़ावा मिला।