जयंती विशेष: किशोर कुमार से जुडीं रोचक बातें, आखिरी गाने पर लगी लाखों की बोली
बॉलीवुड में आवाज के साथ-साथ अदाकारी की दुनिया का बादशाह अगर किसी को कहा गया तो वह किशोर कुमार थे, जो भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वह एक ऐसी शख्सियत थे, जिनका योगदान संगीत की दुनिया में कभी भुलाया नहीं जा सकता। अपनी जादुई आवाज के जरिए किशोर दा हमेशा लोगों के जहन में जिंदा रहेंगे। आज यानी 4 अगस्त को उनकी जयंती के मौके पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ अनछुए किस्से।
महिला की आवाज में गाने का भी था हुनर
किशोर दा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह गाना गाने के साथ अभिनय करने में भी माहिर थे। सबसे दिलचस्प बात तो यह थी कि वह महिला की आवाज में भी गाना गा लेते थे 1962 में आई फिल्म 'हाफ टिकट' का गीत 'आके सीधी लगी दिल पे जैसी' को किशोर ने पुरुष और महिला दोनों ही आवाजों में गाया। उन्होंने इस गाने को एक बार में ही रिकॉर्ड कर लिया और ये सुपरहिट साबित हुआ।
किशोर की कल्पना की उड़ान
किशोर अपने सपनों का एक घर चाहते थे। अपने घर को लेकर उनका एक अलग सपना था, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपने घर पर एक आर्किटेक्ट को बुलाया और कहा कि वह उनके लिए एक ऐसा घर बनाए, जिसके हर कमरे में पानी ही पानी हो। वह यह भी चाहते थे कि उनके पलंग के पास एक नाव हो, जिस पर बैठकर वह अपने डाइनिंग हॉल तक जा सकें। हालांकि, उनका यह ख्वाब पूरा नहीं हो पाया।
फीस को लेकर पक्के थे किशोर
कहा जाता है कि किशोर ने कभी मुफ्त में गाना नहीं गया। वह गाना गाने से पहले ही फीस ले लिया करते थे। एक बार एक निर्माता ने उन्हें आधा भुगतान किया और कहा कि आधे पैसे वह फिल्म पूरी होने के बाद देंगे। अगले दिन शूट पर किशोर आधी मूछों और आधे मेकअप में आए और कहा अगर पूरे पैसे नहीं मिले तो वह फिल्म की शूटिंग ऐसे ही करेंगे। मजबूर होकर निर्माता को उन्हें पूरे पैसे देने पड़े।
किशोर के गाने की लगी सबसे ज्यादा बोली
2012 में किशोर के आखिरी गाने के लिए सबसे ज्यादा बोली लगी। इसे 15 लाख 60 हजार रुपये में बेचा गया, जो किसी भी भारतीय गायक के लिए सबसे अधिक कीमत थी। गाना था 'तुम ही तो वो हो', जिसे कुलवंत जानी ने लिखा और संगीत उषा खन्ना ने दिया। यह 'खेल तमाशा' नाम की फिल्म के लिए था, जो कभी नहीं बन पाई। यह गाना अक्टूबर, 1987 में किशोर के निधन से 3 दिन पहले रिकॉर्ड किया गया था।
खंडवा की दूध-जलेबी के शौकीन
किशोर बॉलीवुड की पार्टियों और चकाचौंध से दूर रहते थे। उन्हें अपने गांव खंडवा (मध्य प्रदेश) की दूध-जलेबी बहुत पसंद थी। वह हमेशा कहा करते थे कि जब वह फिल्मों से संन्यास लेंगे तो खंडवा में ही जाकर बस जाएंगे। किशोर का जब मुंबई से दिल भर गया तो उनका मन वापस खंडवा में बसने का हुआ, लेकिन वह मायानगरी छोड़ने से पहले ही दुनिया छोड़ गए। आखिरी इच्छा के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार भी खंडवा में ही किया गया।
कहीं बना मंदिर, किसी ने बनाया संग्रहालय
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में एक प्रशंसक ने किशोर का मंदिर बनवाया, जहां उनकी मूर्ति लगी हुई है, वहीं इंदौर में एक प्रशंसक ने किशोर को समर्पित एक संग्रहालय बनाया है, जहां उनसे जुड़े गाने और चीजें संजोकर रखी गई हैं। यही नहीं किशोर प्रेमियों ने उनके अंतिम संस्कार वाली जगह पर उनकी समाधि बनाई। लगभग 3 एकड़ में फैली इस समाधि पर हर साल उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर हजारों प्रशंसक उन्हें दूध, जलेबी का भाेग लगाते हैं।