करण जौहर को निर्देशक नहीं बनाना चाहते थे पिता यश जौहर, जानिए उनसे जुड़ीं अनसुनी बातें
बॉलीवुड के जाने-माने निर्माता-निर्देशक करण जौहर अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। हालांकि, आज उनके चर्चा में आने की वजह उनका जन्मदिन है। करण आज (25 मई) को 52 साल के हो गए हैं। उन्होंने पिछले कई दशकों से कई शानदार फिल्में देकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना योगदान दिया है। करण के यूं तो लाखों प्रशंसक हैं, लेकिन आज भी उनकी जीवन से जुड़ी कई ऐसी बाते हैं, जिनसे ज्यादातर लोग अनजान हैं। चलिए जानते हैं वो खास बातें।
कॉस्टयूम डिजाइनर थे करण
'कुछ कुछ होता है' से फिल्म निर्देशक के रूप में डेब्यू करने से पहले करण ने इंडस्ट्री में एक कॉस्ट्यूम डिजाइनर के रूप में काम किया था। उन्होंने 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में शाहरुख खान के कपड़े डिजाइन किए थे। निर्देशक बनने के बाद भी करण ने कई फिल्मों में बतौर डिजाइनर काम किया। उन्होंने 'दिल तो पागल है' और 'वीर-जारा' में शाहरुख के लिए और 'मोहब्बतें' में अमिताभ बच्चन के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन किए थे।
निर्देशक ना होते तो अभिनेता होते करण
करण के पिता यश जौहर एक लोकप्रिय फिल्म निर्माता थे। यश अपने बेटे को एक अभिनेता के रूप में फिल्मी दुनिया में लॉन्च करना चाहते थे। हालांकि, नियति को कुछ और ही मंजूर था। करण ने अपने पिता के सपने से विपरीत निर्देशक बनना चुना। करण और काजोल की दोस्ती से कोई अनजान नहीं है। हालांकि, यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि करण अभिनेत्री को बॉलीवुड में अपना लकी चार्म मानते हैं।
अंधविश्वासी थे करण
करण किसी जमाने में अंधविश्वासी हुआ करते थे। इस बात का सबूत यह है कि उनकी ज्यादातर शुरुआत फिल्मों का नाम 'K' अक्षर से शुरू होता था। हालांकि, फिर एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई जिसने अंधविश्वास में उनकी आस्था को खत्म किया। यह फिल्म राजकुमार हिरानी की 'लगे रहो मुन्नाभाई' थी। फिल्म का क्लाइमैक्स देखने के बाद करण ने अंकशास्त्र पर विश्वास करना बंद कर दिया। दरअसल, इस सीन में संजय दत्त और सौरभ शुक्ला अंधविश्वास पर बात करते हैं।
करण के जीवन से प्रेरित थी 'कल हो ना हो'
साल 2003 में रिलीज हुई करण द्वारा निर्मित फिल्म 'कल हो ना हो' उनके जीवन से प्रेरित थी। कैसे? तो बता दें, इसकी शूटिंग के दौरान करण के पिता यश का न्यूयॉर्क में इलाज चल रहा था। निखिल आडवाणी निर्देशित फिल्म में शाहरुख ने मरते हुए व्यक्ति का किरदार निभाया था और यह उनके पिता से काफी हद तक प्रेरित है। 'कल हो ना हो' एक ऐसी फिल्म है, जिसे खुद निर्देशित ना कर पाने का अफसोस करण को है।
लंदन ओलांपिक में अतिथि थे करण
करण का बड़े से बड़ा प्रशंसक भी यह नहीं जानता होगा कि करण अपनी मूल भाषा की तरह ही फ्रेंच भाषा भी धड़ल्ले से बिना किसी दिक्कत के बोल सकते हैं। वह फ्रेंच में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले बॉलीवुड सितारों में से एक हैं। इतना ही नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा करण एकमात्र भारतीय हैं, जिन्हें लंदन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।