गुनीत मोंगा ने बताया क्यों ऑस्कर तक कम पहुंचती हैं भारतीय फिल्में, दिए ये सुझाव
निर्माता गुनीत मोंगा किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। गुनीत ने कई शानदार फिल्मों का निर्माण किया है, वहीं बीते साल उनकी डॉक्यूमेंट्री 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' ने ऑस्कर पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया था। इस साल 91वें अकादमी पुरस्कारों के लिए पाहुजा द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री 'टू किल ए टाइगर' को नामांकित किया गया है। अब हाल ही में गुनीत ने भारतीय फिल्मों की ऑस्कर तक कम पहुंच के बारे में बात की और साथ ही सुधार लाने के सुझाव दिए।
क्या कहना है गुनीत का?
इंडिया टुडे से गुनीत ने कहा कि पुरस्कार संतुष्टि पाने का साधन नहीं हैं, बल्कि इससे फिल्म निर्माताओं को वैश्विक मंच पर मान्यता मिलती है, जो गर्व की बात है। उन्होंने कहा, "यह ओलंपिक में भाग लेकर देश के लिए पदक जीतने जैसा है। जब मैं फिल्म समारोह में जाती हूं तो यह मेरा अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का तरीका है, चाहे वह 'द लंचबॉक्स' हो या 'मसान'। विश्व का सबसे बड़ा ऑस्कर पुरस्कार जीतना गर्व की बात है।"
ऑस्कर मिलने के बाद नहीं बढ़ा गुनीत पर दबाव
गुनीत कहती हैं कि ऑस्कर मिलने के बाद उन पर दबाव नहीं बढ़ा है क्योंकि वह हर दिन अपना काम करने में विश्वास रखती हैं। उन्होंने कहा, "कोई भी पुरस्कार की उम्मीद नहीं करता। मैं हमेशा मानती हूं कि मेहनत करनी चाहिए, रहमत ऊपर वाला करेगा। ईमानदारी से कहूं तो आप ऑस्कर के लिए चीजें नहीं बनाते हैं। भारत विभिन्न भाषाओं वाला एक विशाल देश है। यहां एक कंटेंट कई भाषाओं में लोगों तक पहुंचता है, जो बड़ी बात है।"
भारतीय फिल्मों के कम प्रतिनिधित्व पर कही ये बात
भारतीय फिल्में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं, लेकिन ऑस्कर में उनका प्रतिनिधित्व कम देखने को मिलता है। ऐसे में जब गुनीत से भारतीय फिल्मों की ऑस्कर में संख्या बढ़ाने को लेकर पूछा तो उन्होंने फिल्म महोत्सव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली फिल्मों को ढूंढने की बात कही। उनका कहना है कि इससे अच्छे निर्माता मिलते हैं। वह कहती हैं कि भारतीय फिल्में अब ज्यादा समय तक चलती हैं और इससे भी उन्हें ऑस्कर के लिए मदद मिलेगी।
जीत के लिए वितरकों का होना जरूरी
गुनीत ने कहना है कि ऑस्कर में जीतने के लिए सबसे जरूरी अमेरिका में वितरकों को ढूंढना है, जो फिल्म का प्रचार कर सकें। बॉक्स ऑफिस और वितरक के साथ आने के बाद ही कुछ बेहतर होनी की उम्मीद मिलती है। फिल्म के प्रचार की यह एक प्रक्रिया है और इसे रातों-रात या LA आने के 4 हफ्तों में नहीं किया जा सकता। ऐसे में ऑस्कर में भेजी गई फिल्म के लिए अच्छे वितरकों का होना बहुत अहम है।
ऑस्कर में फिल्म भेजने के लिए शैली नहीं रखती मायने
गुनीत से पूछा गया कि भारतीय सिनेमा की मसालेदार फिल्मों को ऑस्कर में मौका न मिलने की बात कही जाती है। क्या कभी मसालेदार फिल्म भारत की ओर से भेजी जाएगी? इस पर उन्होंने कहा, "कोई भी अपनी फिल्म भेज सकता है, इसमें शैली बाधा नहीं बनती। आप मुख्य श्रेणी में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। 'RRR' ने भी शानदार प्रचार किया था। फिल्म को भेजने के बाद चयन न होने पर शिकायत करने से बेहतर उसके लिए अभियान चलाना चाहिए।"
कहां देख सकेंगे ऑस्कर पुरस्कार समारोह
ऑस्कर पुरस्कार 10 मार्च को अमेरिका में शाम 7 बजे से (भारत में 11 मार्च की सुबह) आयोजित होंगे। इसे 11 मार्च को सुबह 4 बजे से डिज्नी+ हॉटस्टार पर लाइव दिखाया जाएगा तो यह 4:30 बजे से स्टार मूवीज पर भी प्रसारित होगा।