#NewsBytesExplainer: क्या होता है 'एंटी-क्लाइमैक्स', फिल्मों में क्यों होता है इसका इस्तेमाल?
बॉलीवुड और हॉलीवुड पिछले 100 से भी ज्यादा वर्षों से हम सभी सिनेमाप्रेमियों का मनोरंजन करते आ रहे हैं। बेहतरीन फिल्मों को बनाने में शानदार कलाकारों से लेकर कहानी तक की जरूरत होती है। कहानी के महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक अंत में आने वाला क्लाइमेक्स यानी अंत होता है, जो दर्शकों को चौंकाने का काम करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिल्मों में एंटी-क्लाइमेक्स जैसी भी कोई चीज होती? अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं।
क्या होता है एंटी-क्लाइमेक्स?
अगर किसी फिल्म की ठोस शुरुआत उसे दर्शकों से जोड़ने का काम करती है, तो क्लाइमेक्स भी ऐसा ही करता है। जब दर्शक सिनेमाघर से बाहर निकलते हैं तो क्लाइमेक्स ही वह एक चीज होती है, जिसे वे अपने साथ ले जाते हैं। दअरसल, फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है लोग फिल्म का अंत सोचने लगते हैं, लेकिन तब क्या होता है जब फिल्म लोगों की सोच से परे एक अलग मोड़ पर खत्म होती है? तब 'एंटी-क्लाइमेक्स' होता है।
लोगों की अपेक्षाओं से विपरीत होता है 'एंटी-क्लाइमेक्स'
फिल्मों में 'एंटी-क्लाइमेक्स' एक निराशाजनक अंत है, जिसके बारे में दर्शकों ने बिल्कुल भी ना सोचा हो। इसे ऐसे भी परिभाषित किया जा सकता है कि लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप जिस फिल्म का अंत ना हो उसमें 'एंटी-क्लाइमेक्स' का इस्तेमाल किया जाता है। सोचिए एक पूरी रहस्यमय थ्रिलर फिल्म में निर्देशक तनाव बनाए रखने में सफल रहता है, लेकिन उसका अंत बिल्कुल सपाट हो जो दर्शकों के उत्साह को खत्म कर दे। यह एंटी-क्लाइमेक्स का एक उदाहरण होगा।
दर्शकों को निराश करता है 'एंटी क्लाइमेक्स'
'एंटी-क्लाइमेक्स' दर्शकों को बुरी तरह से निराश करता है क्योंकि इसके इस्तेमाल से फिल्म ऐसे मोड़ पर आकर खत्म हो जाती है, जो उनकी सोच से बिल्कुल परे होता है। दर्शक थिएटर में लगभग 2 घंटे बिताकर खुद को कहानी से जोड़ते हैं, लेकिन जब फिल्म का निराशाजनक अंत उन्हें असंतुष्ट छोड़ देता है। सोचिए अगर आप 2 दुश्मनों को लंबी लड़ाई लड़ने के बाद अपने मतभेद झट से सुलझाकर एक-दूसरे को गले लगाते देखें, तो आपको कैसा लगेगा?
क्यों होता है एंटी-क्लाइमेक्स का इस्तेमाल?
अब सवाल यह उठता है जब 'एंटी-क्लाइमेक्स' दर्शकों को निराश करता है तो फिल्मों में इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, निर्देशक अपनी फिल्मों में 'एंटी-क्लाइमेक्स' का इस्तेमाल नकारात्मकता से बचने के लिए करते हैं। दरअसल, सभी का मानना है कि ज्यादातर दर्शक आमतौर पर फिल्मों को एक सुखद मोड़ पर समाप्त होते देखना चाहते हैं। ऐसे में वे अपनी फिल्मों की कहानी में उत्साह को चरम बिंदु पर पहुंचाकर एक सीधा अंत देना चुनते हैं।
संदेश देने के लिए भी किया जाता है इस्तेमाल
'एंटी-क्लाइमेक्स' का इस्तेमाल कभी-कभी एक विशेष सीख देने के लिए भी निर्देशकों द्वारा किया जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादातर युद्ध पर आधारित फिल्मों में किया जाता है। युद्ध पर आधारित ज्यादातर फिल्मों में हमें आखिरी में यह संदेश दिया जाता है कि युद्ध अर्थहीन होता है। ऐसे में इनमें 'एंटी-क्लाइमेक्स' का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में दर्शकों को अच्छा संदेश देने के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल फिल्मों में किया जाता है।
इन हिंदी फिल्मों में इस्तेमाल किया गया 'एंटी-क्लाइमेक्स'
हिंदी सिनेमा ने हमारे सामने ऐसी कई फिल्में पेश की हैं, जिनके क्लाइमेक्स को देख दर्शकों को निराशा हाथ लगी। संजय लीला भंसाली निर्देशित 'गोलियों की रासलीला राम-लीला' में जहां दर्शक दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह के मिलने की आस लगाए बैठे थे, वहीं निर्देशक ने कहानी को दुखद अंत दिया। इसके अलावा मोहित सूरी की 'आशिकी 2' और तिग्मांशु धूलिया की 'पान सिंह तोमर' भी उन फिल्मों में शामिल हैं, जिनका क्लाइमेक्स दर्शकों की अपेक्षा से बिल्कुल अलग था।
टॉम क्रूज की फिल्म देख निराश हुए थे दर्शक
'एंटी-क्लाइमेक्स' का इस्तेमाल हॉलीवुड में भी हुआ है। हॉलीवुड सुपरस्टार टॉम क्रूज की फिल्म 'वॉर ऑफ द वर्ल्ड्स' का नाम इसमें शामिल है। यह एक ऐसी फिल्म थी, जो इंसानों के एलियंस के साथ युद्ध पर आधारित थी। ऐसे में दर्शक उम्मीद कर रहे थे कि इसका अंत एलियंस के साथ इंसानों के युद्ध से होगा, लेकिन इसके बजाय निर्देशक ने दिखाया कि एलियंस पृथ्वी के जीवाणुओं के चलते मर जाते हैं। इसने दर्शकों को निराश किया था।