जन्मदिन विशेष: जानें 'जंपिंग जैक' जितेन्द्र की जिंदगी से जुड़ीं कुछ दिलचस्प बातें
क्या है खबर?
बॉलीवुड में जंपिंग जैक के नाम से मशहूर जितेन्द्र आज अपना 78वां जन्मदिन मना रहे हैं। जितेंद्र ने ना सिर्फ अपने अभिनय, बल्कि अपने अनूठे डांस स्टाइल से भी दर्शकों को अपना मुरीद बनाया।
फिल्म 'फर्ज' के एक गीत 'मस्त बहारों का मैं आशिक' में उन्होंने सफेद रंग के जूते पहने, जो उनका ट्रेडमार्क स्टाइल बन गया। इसके बाद जितेन्द्र ने न जाने कितनी फिल्मों में सफेद जूते पहने।
आइए उनके जन्मदिन पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें।
शुरुआत
कुछ इस तरह हुई जितेन्द्र की फिल्मी दुनिया में एंट्री
जितेन्द्र का वास्तविक नाम रवि कपूर है। उनका हीरो बनने का कोई इरादा नहीं था। दरअसल, वह अपने पिता के साथ अपना फैमिली बिजनेस संभाल रहे थे।
उनके पिता ज्वेलरी बनाने का कारोबार करते थे, जिसकी सप्लाई फिल्म जगत में होती थी। इसी सिलसिले में जितेन्द्र एक बार महान फिल्मकार वी. शांताराम को गहने देने के लिए गए।
शांताराम को जितेन्द्र में कलाकार बनने की संभावना नजर आई और उन्होंने जितेन्द्र को अपनी फिल्म 'नवरंग' में लेने का फैसला किया।
लोकप्रियता
'फर्ज' के बाद पटरी पर सरपट दौड़ने लगी जितेन्द्र की गाड़ी
शांताराम की फिल्म के बाद जितेन्द्र ने कई फिल्मों में काम किया लेकिन उन्हें पहचान फिल्म 'फर्ज' से मिली।
1967 में आई इस फिल्म का गाना 'मस्त बहारों का मैं आशिक' सुपरहिट रहा। इसके बाद जितेन्द्र ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
जितेन्द्र ने 'नैनो में सपना', 'ताकी ओ ताकी' और 'ढल गया दिन' जैसे गानों पर अपने डांस और फैशन से दर्शकों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके डांस के कारण उन्हें जंपिंग जैक नाम दिया गया।
बयान
जितेन्द्र ने श्रीदेवी और जया प्रदा को बताया था अपनी रोजी-रोटी
जितेन्द्र ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्हें पता चला कि फिल्म हिम्मतवाला में उनके साथ श्रीदेवी होंगी तो वह फूले नहीं समाए।
उन्होंने कहा, "मैं बहुत खुश हुआ, जब पता चला कि श्रीदेवी मेरे साथ काम करेंगी। मैं अक्सर कहता हूं कि श्रीदेवी और जया प्रदा मेरे लिए रोजी-रोटी हैं।"
जितेन्द्र ने श्रीदेवी के साथ 16 फिल्में कीं, जिनमें से 13 फिल्में सफल रहीं। दूसरी तरफ जया के साथ जितेन्द्र ने 24 फिल्मों में काम किया था।
नई पहचान
गुलजार ने दिया जितेन्द्र को एक नया लुक
गुलजार के साथ की गईं फिल्मों में जितेन्द्र का अलग ही अंदाज देखने को मिलता है। गुलजार ने अपना लुक जितेन्द्र को दिया।
उनकी फिल्मों में जितेन्द्र ने कुर्ता-पायजामा, आंखों पर चश्मा, पतली सी मूंछ और अलग सा हेयर स्टाइल अपनाया। उनके इस लुक को भी दर्शकों ने खूब सराहा।
गुलजार के साथ जितेन्द्र ने 'परिचय', 'किनारा' और 'खुशबू' जैसी फिल्में कीं।
पकड़
जितेन्द्र ने साउथ में भी बिछाया जाल
दक्षिण भारतीय फिल्मकारों से जितेन्द्र के बहुत अच्छे संबंध रहे। साउथ के निर्माता जब भी हिंदी फिल्म बनाते, जितेन्द्र उनकी पहली पसंद हुआ करते थे।
जितेन्द्र ने कई साउथ फिल्मों के हिंदी रिमेक में काम किया। उनका एक पैर बॉलीवुड में तो दूसरा दक्षिण में होता था।
जितेन्द्र बेहद अनुशासन प्रिय थे और तेजी से काम करते थे। अपनी फिटनेस को बरकरार रखने के लिए उन्होंने वर्षों तक रोटी और चावल को हाथ तक नहीं लगाया।
निजी जिंदगी
हेमा मालिनी से तय हो गई थी जितेन्द्र की शादी
अब भले ही जितेन्द्र, शोभा के साथ खुशहाल शादीशुदा जिंदगी बिता रहे हों लेकिन उनकी शादी हेमा मालिनी से होने ही वाली थी।
हेमा की बायोग्राफी के मुताबिक उनके घरवाले शादीशुदा धर्मेद्र से उनकी शादी कराने के खिलाफ थे। वे चाहते थे कि हेमा, जितेन्द्र के साथ अपना घर बसा लें।
हेमा और जितेन्द्र शादी करने चेन्नई गए हुए थे लेकिन जब धर्मेंद्र को यह बात पता चली तो वह शादी रुकवाने के लिए शोभा के साथ चेन्नई पहुंच गए।