मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित मेजर मोहित शर्मा पर बनेगी बायोपिक
मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित शहीद मेजर मोहित शर्मा के जीवन पर एक बायोपिक बनने जा रही है। हालांकि, अभी तक फिल्म के कलाकार और अन्य विवरणों की घोषणा नहीं हुई है। फिल्म की शूटिंग इसी साल सितंबर में शुरू हो सकती है। वहीं, अगले साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यह फिल्म रिलीज हो सकती है। अभी इस फिल्म का पोस्टर जारी हुआ है, जिसमें मेजर मोहित के 'इफ्तिखार' लुक को दिखाया गया है।
कौन थे मेजर मोहित शर्मा?
मेजर मोहित का जन्म 13 जनवरी 1978 को हरियाणा के रोहतक में हुआ था। 1995 में मेजर मोहित इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ कर NDA में शामिल हो गए। NDA में अकादमिक अध्ययन पूरा करने के बाद उन्होंने 1998 में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में प्रवेश लिया। उन्हें 11 दिसंबर 1999 को लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया। सैन्य सेवा के 3 साल के बाद मेजर को 'पैरा स्पेशल फोर्सेज' के लिए चुना गया और वो 2003 में एक प्रशिक्षित पैरा कमांडो बने।
फिल्म को अस्थायी रूप से 'इफ्तिखार' टाइटल दिया गया
मेजर मोहित पर बनने वाली फिल्म को अस्थायी रूप से 'इफ्तिखार' टाइटल दिया गया है। यह फिल्म शिव अरूर और राहुल सिंह की किताब 'इंडियाज मोस्ट फियरलेस 2' का रूपांतरण होगा। इस किताब को रैंडम हाउस इंडिया की तरफ से प्रकाशित किया गया था। इस फिल्म की कहानी अशोक चक्र से सम्मानित मेजर मोहित की होगी, जिन्होंने साल 2004 में एक ऑपरेशन के दौरान हिजबुल मुजाहिद्दीन में इफ्तिखार भट्ट बनकर घुसपैठ की थी और दो आतंकियों को मारा था।
अप्लॉज इंटरटेनमेंट ने ट्विटर पर जारी किया फिल्म का पोस्टर
फिल्म के जारी पोस्टर में मेजर मोहित शर्मा के इफ्तिखार लुक को दिखाया गया है, जिसके पीछे तिरंगा दिख रहा है। अप्लॉज इंटरटेनमेंट ने अपने ट्विटर अकाउंट पर फिल्म के बारे में जानकारी दी है। इस संस्था ने ट्वीट करते हुए लिखा, "अप्लॉज इंटरटेनमेंट और दृश्यम फिल्म्स 'इफ्तिखार' फिल्म के लिए साथ आए हैं, जिसमें हम अशोक चक्र से सम्मानित मेजर मोहित शर्मा की वीरता की कहानी बताएंगे। इन्होंने इफ्तिखार भट्ट बनकर हिजबुल मुजाहिद्दीन में निडर होकर घुसपैठ की थी।"
यहां देखिए ट्विटर पर पोस्ट किया गया फिल्म का पोस्टर
जानिए मेजर मोहित कैसे बने 'इफ्तिखार भट्ट'
शोपियां में मेजर मोहित ने अपने ऑपरेशन को अंजाम दिया था। सबसे पहले उन्होंने दाढ़ी-मूंछ रखी और अपना नाम 'इफ्तिखार भट्ट' रख लिया। फिर इसी नाम के जरिए आतंकी अबू तोरारा और अबू सबजार के संपर्क में आए। उन्होंने हिजबुल आतंकियों को विश्वास दिलाया कि भारतीय सेना ने उनके भाई को 2001 में मार डाला था। अब वो उसका बदला लेना चाहते हैं। इन्होंने आतंकियों का विश्वास जीतकर उन्हीं के घर में आघात पहुंचाया था।
साथियों को बचाते-बचाते शहीद हुए थे मेजर मोहित
21 मार्च 2009 को मेजर मोहित शर्मा जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर के हफरुदा जंगल में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शामिल थे। उन्होंने उस मुठभेड़ में चार आतंकवादियों को मार गिराया था। इस दौरान उन्होंने अपने दो साथियों को भी बचाया, लेकिन गोली लगने के कारण खुद शहीद हो गए थे। इस शहादत के लिए उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरांत वीरता का सर्वोच्च पुरस्कार 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया था।
वीरता की ये कहानी हर भारतीय को जाननी चाहिए- नायर
अप्लॉज इंटरटेनमेंट के CEO समीर नायर ने बॉलीवुड हंगामा को एक इंटरव्यू में बताया, "पिछले साल के बाद शिव और राहुल के साथ हमारी यह दूसरी मुलाकात है। शोपियां में मेजर मोहित की वीरता की कहानी सुनकर हम चकित थे। तुरंत ही समझ आ गया गया था कि ये कहानी हर भारतीय को बताना चाहिए। हमने पिछले साल इस कहानी के राइट्स खरीद लिए थे। इस कहानी को बताने के लिए 'दृश्यम फिल्म्स' के साथ काम करने जा रहे हैं।"