अनुराग कश्यप नारीवादी फिल्में बनाने वालों पर बोले- उनमें से 90 प्रतिशत 'धोखेबाज' हैं
क्या है खबर?
बॉलीवुड को कई बेहतरीन फिल्में देने वाले निर्देशकों में शामिल अनुराग कश्यप अपनी मुखरता के लिए पहचाने जाते हैं।
वह अक्सर देश से लेकर फिल्मों तक के मुद्दों पर अपने विचार खुलकर रखते हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में भी आ जाते हैं। यहां तक की कभी-कभार निर्देशक विवादों में भी घिर जाते हैं।
अब कश्यप ने राम मंदिर उद्घाटन और नारीवादी फिल्म बनाने वालों पर कुछ ऐसा कह दिया है, जिसके चलते वह फिर विवादों से घिर सकते हैं।
राम मंदिर
राम मंदिर उद्घाटन पर उठाए सवाल
अनुराग ने हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बारे में बात की।
कोलकाता में एक कार्यक्रम में अनुराग से जब राम मंदिर उद्घाटन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उसे विज्ञापन बता डाला।
निर्देशक ने कहा, "22 जनवरी को जो हुआ, वह एक विज्ञापन था। मैं इसे ऐसे ही देखता हूं। खबरों के बीच जिस तरह के विज्ञापन चलते हैं, उसी तरह यह 24 घंटे चलने वाला विज्ञापन था।"
नास्तिक
नास्तिक क्यों हैं अनुराग कश्यप?
इवेंट में उन्होंने अपने नास्तिक होने का कारण भी बताया।
वह बोले, "मेरा जन्म धर्म की नगरी वाराणसी में हुआ था। मैंने धर्म का कारोबार बहुत करीब से देखा है। यह कभी राम मंदिर नहीं था। यह राम लला का मंदिर था और पूरा देश इसका अंतर नहीं बता सकता।"
उन्होंने आगे कहा, "किसी ने कहा है, 'धर्म दुष्टों का अंतिम सहारा है।' जब आपके पास देने के लिए कुछ नहीं बचता तो आप धर्म की ओर मुड़ते हैं।"
फिल्म निर्माता
दो तरह के होते हैं फिल्म निर्माता
अनुराग बोले, "इंडस्ट्री में दो तरह के निर्देशक हैं, एक जो पैसा कमाना चाहते हैं और उसके लिए ईमानदार हैं और कुछ नहीं। इसके अलावा दूसरे, जो इसके एकदम उलट होते हैं, वो मौका देखते हैं. ये एक ऐसी जगह है, जहां असल में लोग एक-दूसरे को नीचे खींचना चाहते हैं।"
जब उनसे नारीवादी सिनेमा के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मेरे हिसाब से हर फिल्ममेकर को हर तरह की फिल्म बनाने का अधिकार होना चाहिए।"
नारीवादी
नारीवादी फिल्म निर्माताओं को अनुराग ने बताया धोखेबाज
अनुराग ने कहा, "जो नारीवादी, समाजवादी, क्रांतिकारी फिल्में बनाते हैं। उनमें से 90 प्रतिशत फ्रॉड हैं। वो सब दिखावा करते हैं।"
उन्होंने कहा कि अलग-अलग फिल्म निर्माताओं को एक साथ लाने की इतने वर्षों की कोशिश के बाद उन्हें एहसास हुआ कि स्वतंत्र फिल्म निर्माता सबसे खराब हैं।
दरअसल, उनके मुताबिक वे जो कुछ कर रहे हैं, वो एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कर रहे हैं। मूर्ख एकसाथ हैं और होशियार लोग एक-दूसरे को नीचे खींचने में व्यस्त हैं।
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