करियर में सफल होने के लिए क्यों जरूरी है भावनात्मक बुद्धिमत्ता?
भावनात्मक बुद्धिमत्ता अपनी और दूसरे व्यक्तियों की भावनाओं को पहचानने और उन्हें प्रबंधित करने की क्षमता है। अगर आप भावनात्मक रूप से बुद्धिमान हैं तो पारस्परिक संबंधों को सहानुभूतिपूर्वक संभाल सकते हैं। उच्च भावनात्मक बुद्धिमत्ता उम्मीदवारों को पेशेवर लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है और वे अपने जीवन में सफल हो पाते हैं। आइए पर्सनालिटी डेवलपमेंट टिप्स में जानते हैं कि करियर में सफलता के लिए भावनात्मक बुद्धिमत्ता क्यों जरूरी है।
सही निर्णय लेने के लिए है जरूरी
भावनाओं में बहकर लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं। ऐसे में सही निर्णय लेने के लिए भावनात्मक बुद्धिमत्ता होना जरूरी है। इसकी मदद से आप सही पहलुओं के बारे में विचार कर सकते हैं। एक अच्छी बौद्धिक समझ वाला व्यक्ति आगे बढ़ सकता है, लेकिन सभी क्षेत्र में सफल होने के लिए भावनात्मक समझ होना जरूरी है। इससे व्यक्ति क्रोध और खुशी के आवेग में कोई अनुचित कदम नहीं उठाता। ऐसे में अपने अंदर भावनात्मक समझ विकसित करें।
साथियों को प्रेरित करने में मिलती है मदद
जिन लोगों के पास भावनात्मक बुद्धिमत्ता का कौशल होता है, वे टीमवर्क में माहिर होते हैं। ऐसे लोग दूसरों के साथ सहयोग करने, समस्याओं को रचनात्मक ढंग से हल करने और अपने साथियों को प्रेरित करने में सक्षम होते हैं। भावनात्मक बुद्धिमत्ता की मदद से व्यक्ति अपनी गलतियों की स्वीकार करते हैं और उनसे सीख लेते हैं। ये उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है। लगातार सीखने रहने से वे दूसरों की तुलना में ज्यादा उत्पादक (प्रोडक्टिव) हो जाते हैं।
बेहतर संचार के लिए भी है जरूरी
भावनात्मक बुद्धिमत्ता लोगों को बेहतर संचारक (कम्युनिकेटर) बनने में मदद करती है। उम्मीदवार अन्य लोगों को सक्रिय रूप से सुनने के साथ खुद को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं और प्रभावी ढंग से अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। इससे उन्हें सहकर्मियों और ग्राहकों के साथ मजबूत संबंध स्थापित करने में मदद मिलती है। इससे अशाब्दिक संचार को समझने में मदद मिलती है और उम्मीदवार अपनी टीम के लोगों की परेशानियां समझ सकते हैं।
दबाव में काम करने की क्षमता में होती है वृद्धि
भावनात्मक समझ वाले व्यक्ति किसी भी तरह के दबाव में काम कर सकते हैं। वे अपनी टीम को सही तरह से मार्गदर्शित करते हैं और हर काम को समय पर पूरा करने की कोशिश करते हैं। भावनात्मक बुद्धिमत्ता की मदद से लोग आत्मजागरूक हो जाते हैं और अधिक सकारात्मक प्रभाव पैदा करने के लिए काम करते हैं। इससे आत्मप्रेरणा की भावना भी विकसित होती है और ये उम्मीदवारों को आगे बढ़ने में मदद करती है।
आत्मप्रबंधन में मिलती है मदद
कई बार उम्मीदवार अधिक तनावपूर्ण या आक्रामक परिस्थितियों में ऐसी प्रतिक्रिया देते हैं, जिनकी वजह से उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भावनात्मक बुद्धिमत्ता की मदद से उम्मीदवारों को आत्मप्रबंधन में मदद मिलती है और वे संयमित रहकर काम कर पाते हैं।